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________________ सन्त सुमतिकोत्ति हिन्दी रचनायें १. धर्म परीक्षा रास २. जिनवर स्वामी वीनती ३. जिह्वा दंत विवाद ४. बसंत विद्या-विलास ५. पद-(काल अने तो जीव बढे परिभ्रमतां। ६. शीतलनाथ गौत उक्त रघनाओं का संक्षिप्त परिचय निम्न है:१. कर्मकाण्ड टीका प्राचार्य नेमिचन्द्र पृन कर्मकाण्ड (प्राकृत) की यह संस्कृत टीका है । जिसको लिखने में इन्होंने अपने गुम भट्टानक ज्ञानभूपग को गुरी सहायता दी थी। यह भी अधिक संभव है कि इन्होंने ही इसकी दीका लिखी हो और भ० ज्ञानभुषमा ने उसका संशोधन करके गुरु होने के कारण अपने नाम का प्रथम उल्लेख कर दिया हो । दीका सुन्दर है। इससे सुमतिकीत्ति की विद्वत्ता का पता लगता है।' २. प्राकृत पंचसंग्रह टीका 'पंचसंग्रह' नाम का एक प्राचीन भावृत्त प्रन्य है, जो मूलतः पांच प्रकरणों को लिए हए है, और जिस पर मूल के साथ भाप्य चूरिय तथा संस्कृत टीका उपलब्ध है । आचार्य अमितिगति' ने सं. १०७३ में प्राकृत पंच संग्रह का मंशोधन परिव नादि के साथ पंच संग्रह नामक अन्य बनाया था। इस दीका का पता लगाने का मुख्य श्रेय पं० परमानन्दजी शास्त्री, देहली, वो है। ३. धर्मपरीक्षा रास यह कवि को हिन्दी बना है, जिसका उल्लेख पं० परमानन्दजी ने भी अपने प्रशस्ति संग्रह की भूमिका में किया है। इस ग्रन्थ की रचना होमोट नगर (गुजरात) में हुई थी। राम की भापा गुजराती मिश्रित हिन्दी है, जैसा कि कनि की अन्य रचनाओं की भाषा है । सस' का रचना काल संवत् १९२५ है। रास का अन्तिम छन्द निम्न प्रकार है:mmwwwmummmsammmmmmmmwwwxamwamanwwAANAIIm १. प्रशस्ति संग्रहः पृ०७ के पूरे दो पद्य २. देखिये-५० परमानन्दजी द्वारा सम्पादित-प्रशस्ति संग्रह-पृ० सं०७४ 1. इसकी एक प्रति अग्रवाल दि० अंन मन्दिर उवयपर (राजस्थान) में संग्रहीत है।
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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