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________________ ---- उदार मनुष्य दयालु होते ही हैं । ----- पापी पर (दुष्ट पर) उपकार करना सांप को दूध पिलाना है । --..- बिना कारण (निःस्वार्थ) किये गये उपकार अवश्य ही फलदायी होते हैं। -~- उपकार करनेवाले मनुष्य मारने योग्य नहीं हो सकते । --- परोपकारी पुरुषों की सम्पूर्ण क्रियाएँ दूसरों की भलाई के लिए ही होती हैं। - परोपकार में स्योपकार भी निहित है । -- परोपकारी के लिए दूसरों की सन्तुष्टि ही अपनी सन्तुष्टि है। - सब फलों में परोपकार ही मुख्य फल है। । ..... सस्पुरुषों को कथा से उत्पन्न या जच तक चन्द्र, सूर्य और तारे हैं तब सक रहता है। ---- दांत बही हैं जो शान्त कथाओं के समागम से रंजित रहते हैं। .... कथा वही है जिसके श्रवण से हेय और उपादेय का निर्णय होता है। -- जिस परिवार में कलह हो वहां स्वास्थ्य नहीं रह सकता। ...... कामी मनुष्य के लिए कोई मर्यादा और नियम नहीं होते। --- कामी जनों को विवेक नहीं रहता । -~- काम सेवन से कभी तृप्ति नहीं होती। --- कर्म के वश में होकर कामी जीव प्रत्येक दुष्कार्य कर सकता है।
SR No.090386
Book TitlePuran Sukti kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Khinduka, Pravinchandra Jain, Bhanvarlal Polyaka, Priti Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year
Total Pages129
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary & Literature
File Size2 MB
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