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________________ - पापी लोग हिसादि दोषों में लोन होते हैं । --- दुष्ट दूसरे की स्तुति सहन नहीं कर सकता । - दुष्ट को छोड़कर सज्जनों के अपनों पर सब विश्वास करते हैं । - घर में बड़े होते हुए दुष्ट विषैले सांप को कोई सहन नहीं करता । -- दुष्ट पुरुषों के लिए कोई भी कुकर्म दुष्कर नहीं है । – प्राय: दुष्ट पुरुषों का हृदय बड़े लोगों का विरोधी बन जाता है । -~- बुरे काम करनेवाला निश्चित ही दुर्गति को प्राप्त होता है। - दुष्ट की चेष्टा कष्टदायी होती है । --- पुण्यहीन दुश्चरित्र मनुष्य का भूत और भावी सब बिगड़ जाता है । दुष्ट का गुण भी गुण नहीं होता। -- कुत्ते को पूछ की तरह दुर्जन को भी सीधा नहीं किया जा सकता। - अच्छी धर्मकथा सुनकर दुर्जनों का मन दुःखी होता है। .- पापियों का मोह बड़ा प्रबल होता है । .... दुष्ट को सैंकड़ों प्रिय वचनों के द्वारा दिया गया हितोपदेश भी व्यर्थ होता है। - दुर्जन बड़े-बड़े दान पाने पर भी शांत नहीं होते। -- इस संसार में दुराचारी पर सब कुपित होते हैं। :--MIRMIRE ..... ... ..... --- कार्य हो चुकने पर समय गंवाना व्यर्थ है । - समय के प्रभाव से कोमल भी कठोर बन जाते हैं । - सूर्य के पतन के समय अन्धकार की प्रबलता भी हो ही जाती है ।
SR No.090386
Book TitlePuran Sukti kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Khinduka, Pravinchandra Jain, Bhanvarlal Polyaka, Priti Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year
Total Pages129
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary & Literature
File Size2 MB
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