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________________ CHADRAMAnimaniam- 09 --- सन्त विरोध मिटानेवाले होते हैं । ---- सज्जनों के परोक्ष होने पर भी गुणवान् गुणों को नहीं छोड़ते। .सज्जनों को गुण प्राणों से भी अधिक प्रिय होते हैं । - जीवों की रक्षा करने में तत्पर लोग ही ऋषि कहलाते हैं। ... 'उत्तम पुरुष तुच्छ पदार्थों की इच्छा नहीं करते। - साधु लोग विरुद्ध प्राचरण करनेवाले नहीं होते । – धर्मात्मा शिष्टजन क्षमा, शौच आदि गुणों से युक्त होते हैं । ---- भव्य जीवों को महान् वन में भी मित्र मिल जाते हैं । - सत्पुरुष मानभंग करके ही कृतकृत्य हो जाते हैं । -~~ीतिमार्ग पर पलनेटाले पत्रकार मी नहीं करा : --- सत्पुरुष हितभाषी ही होते है। – प्रायः सज्जनों की चेष्टा कल्पवृक्ष के समान परोपकार के लिए ही होती है। स सज्जन पुरुष दूसरे के दुःख के कारण महाविभूतियों का भी त्याग कर BarsMind --- सज्जन हमेणा सद्विचारों का अनुसरण करते हैं। – सज्जन स्वभाव से ही उपकारियों की स्तुति करनेवाले होते हैं । --नीचजनों द्वारा किया गया अपकार भी सज्जनों के लिए उपकार रूप हो जाता है। --- सजन गुण से हो वश में होता है। --- सज्जन को बताया हुआ दुःख नष्ट हो जाता है। vywwwwwwxno
SR No.090386
Book TitlePuran Sukti kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Khinduka, Pravinchandra Jain, Bhanvarlal Polyaka, Priti Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year
Total Pages129
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary & Literature
File Size2 MB
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