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प्रवचन
महामहिम श्री महावीरस्वामिने नमः । प्रविन्स्यचिन्तामणि श्री शङ्खेश्वर पापनानाय नमः
परमतारक श्री धर्मबाथस्वामिने नमः पूज्यपाद विजय सिदिसूरीश्वरेभ्यो नमः । पूज्यपाद श्रीमद् विजय भन्रीपवरेभ्यो नमः। पूज्यपाद श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरेभ्यो नमः ।
सारोद्वारे सटीके
का सार प्रस्तावना
खण्ड:
जिन प्रवचन का सार * प्रवचन साहार*
परम कृपालु परमात्मा एवं सद्गुरुवयों की असीम कृपा से सम्पादित प्रत्यरत्न 'प्रवचन सारोद्धार' के इस द्वितीय खण्ड को विद्वानों के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए हम प्राज प्रतीव प्रानन्द महसूस कर रहे हैं।
. व्याप में छोटा, कलेक्सन में अन्ठा २७६ द्वारों-Chaptera में विभक्त करीबन १६०० मायात्रों से समृद्ध यह ग्रन्थरत्न, चर्च्य विषयों को अपेक्षा से, च्याप में छोटा होने पर भी कलेक्सन संग्रह में अनूठा है। गागर में सागर । अन्साइक्लोपेडिया प्रोक जैनिजम् ।
इस ग्रन्थ रत्न में इतने विषयों पर सूक्ष्मतम चर्चा की गई है कि इस प्रन्थ में क्या क्या प्राता है यह कहने के बजाय क्या क्या नहीं पाता है यह कहना सरल होगा।
च विषयों को सूचि-द्वारों एवं उपद्वारों के वर्णन के साथ-हमने विषयानुक्रम में दी है, जिस पर वृष्टि करने से जात होगा कि समंदर कितना गहरा है प्रवचन सारीद्धार का । और यह भी कहना पडेगा कि इस महान
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