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________________ २०६ द्वारे प्रवचन सारोद्धारे सटीके द्वितीयः पाखण्डिन गाथा ११८८१२०६ जीवाइनवपयाणं अहोकमेणं इमाई ठविऊण । जह कीरइ अहिलायो तह साहिज्जा निसामेह ॥१२००॥ संतो जीवो को जाणइ ? अहवा किं व तेण नाएणं' । सेसपएहिवि भंगा इय जाया सत्त जीवरस ॥१॥ एवमजीवाईणऽवि पत्तेयं सत्त मिलिय तेसट्ठी ।। तह अन्नेऽवि हु भंगा चत्तारि इमे उ इह हुति ॥२॥ संती भावुप्पत्ती को जाणइ किंच तीए नायाए १ । एवमसंती भावुप्पत्ती सदसतिया चेव ॥३॥ तह अव्वत्तवाघि हु भावुल्पत्ती इमेहिं मिलिएहिं । भंगाण सत्तसही जाया अन्नाणियाण इमा ॥४॥ सुर १ निवइ २ जई ३ नाई ४ थविरा ५ बम ६ माइ ७ पिहसु ८ एएसिं । मण वयण २ काय ३ दाणेहिं ४ चउविहो कीरए विणओ ॥६॥ अहवि चउक्कगुणिया बत्तीस हवंति वेणय भेया । सव्धेहिं पिडिएहिं तिनि सया हुति तेसहा ॥६॥ १०ण-विः ॥ २ सदसत्तिया-मु. ॥ ३ जई-ता.॥ प्र.आ. ॥३७३॥
SR No.090383
Book TitlePravachansaroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages740
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size24 MB
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