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साद्वारे
महामनोश्रो. प्रागम प्रम पूज्यपाद मुनिराज श्री जम्बू विजयजी महाराज साहब ने स्थलस्थल पर मार्ग
दर्शन दे कर हमें उपकृत किया है। प्रवचन- सम्पादन के इस श्रमसाध्य कार्य में पूज्यपाद बिर्य अरविन्द विजयजी महाराज. पूज्यपाद विद्वद्वर्य । जिन
गायोपहरज, विदर्ष मुनिराजश्री यशोविजयजी म. सा. विद्वद्वयं मुनिराजश्री जयसुन्दरविजयजी प्रवचन
महाराज, मुनिराज श्री भाग्येश विजयजी महाराज एवं मुनिराज श्री महायशविजयजी महाराज का अच्छा सटीके सहयोग मिला........साध्वीजी श्री सुबताश्रीजी, साध्वीजी श्री महायशाश्रीजी प्रादि ने भी संशोधन में सुचार
प्रस्तावना द्वितीयः
अम लिया था।
खंभात से तारपत्रीय प्रत प्राप्त करवाने में पं छबीलदासभाई, डेना भण्डार बला र भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अमदाबाद से हस्तप्रत प्राप्त कराने में मुनिराज श्री रवत विजयजी (पू. प्राचार्यदेव श्री अरिहन्तसिद्ध सूरि महाराजा के शिष्य) व पं. बाबुलाल सपचंदभाई ने अच्छा सहयोग दिया। समी हस्तप्रत प्राप्त कराने वाले भिन्न भिन्न ज्ञान भण्डार के कार्यवाहकों को श्रुतमक्ति को साधुवाद देते है।
जिन प्रवचन के सारभूत प्रकरण रूप इस प्रन्थरत्न का अध्ययन अमण-श्रमणी संघ में बड़े पैमाने पर हो बही शुभकामना के साथ'पूज्यपाद संघस्थविर प्राचार्यदेव श्रीमद पूज्ययाद आचार्यदेव श्रीमद विजय विजयमद्रसूरीश्वरजी महाराज के।
भुवनभानूसूरीश्वरजी महाराजा शिष्यरल यू मुनिराज श्री जिमनन्द
के शिष्य विजय महाराज के शिष्य
मुनि पद्मसेनविजय मुनि मुनिचन्द्र विजय
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Reinatamdaniya