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प्रवचनसारोद्धारे सटीके
३५ द्वा त्रिपष्टिशलाका न्तरादिगाथा
||२७५॥
उसह-भरहाण दोण्हवि चुलसीई पुत्वसयसहस्साई । 'अजिय-सगराण दोण्हवि बावत्तरि सयसहस्साई ॥४१९॥ परओ जहकमेणं सट्ठी पपणास चत्त तीसा य । लीला दश दो पत्र र लक्खेगो चेव पुन्याणं ॥४२०॥ 'सिज्जंस-तिविट्ठणं चूलसोई वाससयसहस्साई । पुरओ जिण-केसीणं धम्मो ता जाव तुलमिणं ॥१२॥ कमसो बावत्तरि सहि तीस दस चेव सयसहस्साई । मघवस्स चक्किणो पुण पंचेच य वासलक्खाई ॥४२२॥ तिनि य सणंकुमारे संतिस्सय वासलक्खमेगं तु । पंचाणउह सहस्सा 'कुथुस्स य आउयं भणियं ॥४२३॥ चुलसीइ सहस्साई तु आउयं होइ अरजिणिदस्स ।
"आऊ सिरिपुडरीयस्स ॥४२४॥ सविसहस्स सुभूमे छप्पन्न सहस्स हुति दत्तस्स । पणपण्णसहस्साई मल्लिस्सवि आउयं भणिय ॥४२५॥ .
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ARTISM
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१ अजियसागराण-मु० ॥२ सेशंस०-मु० ॥ ३ थुस्सवि-मु० ॥ ४ माश्य-ता. ॥