SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ------ प्रवचनमारोद्वारे आशातना आलवणार अरिहं पुवं सेहस्स आलवंतस्स । रायणियाओ एसा नेरसमासायणा होइ ॥१५॥ असणाई यं लदधुपुद्धि सेहे तओ य रायणिए । आलोए चउदसमी एवं उपदसणे नवरं ॥१६॥ एवं निमंतणवि य लधुरयणाहिगेण तह सहि । असणार अघुलाए ग्वहंति यह दलंतस्स ॥१३॥ संगहगाहा, जो न बहसहा निरूविमो वीसु। तं बहाइयणपए ग्वहति विभज जोएजा ।।१३८॥ एवं बहाइयो वह बहुयंति अयामसणंति । आईसहा डायं होइ पुगी पत्तसागतं ॥१३॥ बन्नाइजयं उसह रसियं पुण दाडिमंबगाइयं । मणईट्टतु मणपणं मन्नइ मणसा मणाम तं ॥१४०॥ निई नेहवगाह रुकावं पुण नेहवनिय जाण । एवं अप्पडिसुणणे नवरिमिणं दिवसविसयंमि ॥१४॥ ग्वनि यह भणंने स्वरककसगुमसरेण रायणियं । आसायणा उ सेहे तत्थ गए होइमा चाण्णा ॥१४॥ - त wwwSARAMORE RANHIMRAesushARMADARSAMMELANAMMARRIAL 22858
SR No.090382
Book TitlePravachansaroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherBharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages678
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy