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५ माह २० दिन कुल ७१ वर्ष ३ महीना और २५ दिन हुए। कुछ आचार्यों ने ७२ वर्ष मानी है । उनके मत से ३० वर्ष कुमार काल, १२ वर्ष छद्मस्थ और ३० वर्ष उपदेश केवली काल है ।
इनके बाद गौतम, सुधर्मस्वामी और जम्बूस्वामी ये तीन अनुबद्ध केवलो हुए | आज दिगम्बर श्राम्नाय इन्हीं के सार गर्भित उपदेशों से चल रही है | श्रेणिक महाराज ने भगवान महावीर स्वामी से ६०००० प्रश्न पूछे। उन्हीं के उत्तर स्वरूप भाज हमें जिनवाणी प्राप्त है।
भगवान वर्द्धमान, वीर, महावीर, सन्मति और प्रतिवीर ये ५ नाम प्रसिद्ध हैं ।
यथार्थ तत्व परिज्ञान करने के लिए जिनवासी का अध्ययन, मनन, चिन्तन करना अनिवार्य है । भाव विशुद्धि और तृष्णा विजय के लिए तीर्थंकर पुराण पढ़ना आवश्यक है। भगवान वीर हमें भी मुक्ति लाभ करायें इस भावना के साथ इस चरित्र को समाप्त करती हैं ।
चिह्न
सिंह
वैशाख कृष्णा १३ बुधवार ता. १७-४-८५ प्रथम प्रहर रात्रि, गुणवाडी गांव, श्री १००८ मल्लिनाथ जिनालय (तमिलनाडु) में लिपि विसर्जन की ।
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