SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ wwwbiluups e emswinitini .1 २१-१००८ श्री नमिनाथ जी पूर्वमव--- . . जम्बूद्वीप १ लाख योजन विस्तार लिये हैं । इसमें ७ क्षेत्र हैं जिनमें एक भरत क्षेत्र जिसमें हम लोग हैं । यहाँ कौशाम्बी नाम की नगरी है। इसका राजा था सिद्धार्थ । यह महान विद्वान, अत्यन्त सुन्दर और पराक्रमी था । उसके श्रीदत्त नाम का पुत्र था । एक दिन उसने अपने पिता पार्थिव मुनिराज की समाधि का समाचार सुना । उसी समय वह विषयों से विरक्त हो गया। श्रीदत्त पुत्र को राज्य देकर महाबल नामक केवली के सन्निकट दिगम्बर दीक्षा धारण की । उनके चरण सानिध्य में क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त कर ग्यारह प्रक्षों का अध्ययन किया, सोलह कारण भावनाओं का चिन्तयन किया । विशुद्ध हृदय से तीर्थ र प्रकृति का बंध किया । प्रायु के अन्त में समाधि मरण कर अपराजित नामक अन्तर विमान में महमिन्द्र हमा। उसकी प्रायू ३३ सागर की थी। मप्रवीचार सुख था । महनिश तस्य चिन्तन में दस चित्त रहता था। [ २२५
SR No.090380
Book TitlePrathamanuyoga Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, H000, & H005
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy