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________________ : १६- १००८ श्री शान्तिनाथ जी पूर्वमव- स्वदोष शास्त्यावहितात्मशान्तिः शान्तविधाता शरणं गतानाम् । भूयाद् भवक्लेश भयोपशान्त्य, शान्तिजिनो मे भगवान् शरण्यः || समस्त द्वीप समुद्रों का केन्द्र बिन्दु है जम्बूद्वीप । इसमें विदेह क्षेत्र है । इसकी पूर्वदिशा में पुष्कलावती देश है । इस देश में पुण्डरीकिनी नगरी है | इसका पालक राजा या घनरथ । उसकी महारानी का नाम था मनोहरा | इसके मेघरथ और दृढरथ दो पुत्र हुए। दोनों में अटूट प्रेम था। इनकी समस्त क्रियाएँ साथ-साथ होतीं । वे सूर्य-चन्द्रवत् सुन्दर और प्रतापी थे । पराक्रम, बुद्धि, विनय, क्षमादि गुणों से विभूषित थे । मेघरथ की प्रियमित्रा और मनोरमा पत्नियाँ थीं । दृढरथ का विवाह सुमति के साथ हुआ । मेधरथ को प्रवधिज्ञान था । महाराजा [ १८७ -------------
SR No.090380
Book TitlePrathamanuyoga Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, H000, & H005
File Size5 MB
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