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प्रासादमरखने
गणेश मायतन----
गणेशस्य गृहे तवचण्डी शम्भुईरी रविः । मूतयो द्वादशान्येऽपि गणाः स्थाप्या हिताश्च ये ॥४२॥
इति गणेशायतनम् । गणेश के पंचायत्तन देवों में मध्य में गणेश, उसके पीछे प्रदक्षिण कम से चंडीदेवी, महादेव, विष प्रो. सूर्य की स्थान करें। 4. बारह गशों की पूनियां भी स्थापित करना हित कारक है ॥४२॥ विष्णु प्रायतन
विष्णोः प्रदक्षिणेनैव गणेशार्काम्धिकाशिवाः । गोप्यस्तस्यावतारस्य भूर्सयो द्वारिका तथा ॥४३॥
इति विष्ण्वायतनम् । विष्णु के पंचायतन देवों में --मध्य में विष्णु को स्थापित करके उसके प्रदक्षिण क्रमसे गणेश, पूर्य, अम्बिका और शिव को स्थापित करें। तथा गोपियों को और अवतारों की मूत्तियां तथा द्वारिका नगरी को स्थापित करें |॥४३॥ चण्डी प्रायतन
चण्डया: शम्भुर्गणेशोऽको विष्णुः स्थाप्यः प्रदक्षिणे! मातरो मूर्त यो देव्या योगिल्यो भैरवादयः ॥४४॥
इति चण्डिकायतनम् । चंडी देवी के पंचायतन देवों में-मध्य में चंडी देवी की स्थापना करके, उसके प्रदक्षिण क्रम से महादेव, गणेश, सूर्य और विष्णु को स्थापित करें। तथा मातदेवी, चौसठ योगिनी भादि देवियों की और भैरव प्रादि देवों को भी मूतियां स्थापित करें ॥४४|| शिव पञ्चायतन
शम्मो। सूर्यो गणेशश्च चण्डी विष्णुः प्रदक्षिणे । स्थायाः सर्वे शिवस्थाने दृष्टिवेधविवर्जिताः ॥४॥
इति शिवायतनम् । शिव के पञ्चायतन देवी में मध्य में शिव को स्थापित करके, उसके प्रदक्षिण क्रम से सूर्य, गोश मली और विष्णु को स्थापित करें। परंतु उनका दृष्टिवेध अवश्य छोड़ देवें ॥४५॥