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________________ षष्ठोऽध्यायः मष्टविभागीय तलमान - क्षेत्रेऽष्टशैर्विभक्ते तु कर्णो भागद्वयं भवेत् । भद्रार्ध फर्ण तुम्यं तु भागेनैकेन निर्गमः ||६|| समचोर प्रसाद के तलका आठ भाग करें, उनमें से दो भाग का कौना और दो भाग का भनार्थ बनावें । इन गंगानगर दश और बारह विभागीय तलमान दशांश सार्वभागं च भद्रार्धं च प्रतिरथः । कर्णो द्विभागः सूयांशे भद्रार्धं च प्रतिरथः ॥७॥ समचोरस तलका दस भाग करें। उनमें से दो भाग का कोना, डेढ भाग का प्रतिरथ और डेढ़ भाग का भद्रार्ध बनावें । यदि बारह भाग करना हो तो दो भाग का कर्ज, दो भाग का प्रतिक और दो भाग का भद्रार्थ बनायें ||७ll चौवह विभागीय तलमान--- h चतुर्दशविभक्ते तु कर्णाय द्वादशांशवत् । भद्रपार्श्वद्वये कार्या भागभागेन नन्दिका ॥८॥ समचौरस तलका चौदह भाग करें। उनमें से कर्ण श्रादिका मान बारह विभागीय तलमान के अनुसार रखें। अर्थात् कर्ण दो भाग, प्रतिकर्ण दो भाग, और भद्रा दो भाग, ऐसे बारह भाग और भद्र के दोनों तरफ एक २ भाग की नन्दिका ( कोणी ) बनायें। ऐसे कुल चौदह भाग होते हैं || सोलह विभागीय तलमान षोडश प्रकर्त्तव्या कर्ण प्रतिरथान्तरे । कोणिका भागतुल्या व शेषं चतुर्दशांशत् ॥ ६ ॥ समचोरस तलका सोलह भाग करें। उनमें से कर्ण और प्रतिरथ के बीच में एक २ भाग की कोशिका बनायें। बाकी सब अंगो का मान चौदह विभागीय तलमान के बराबर समझें । क दो भाग, कोणी एक भाग, प्रतिरथ दो भाग, नंदी एक भाग और भद्रार्ध दो भाग इस प्रकार सोलह विभागीय सलमान होता है ॥६॥ प्र
SR No.090379
Book TitlePrasad Mandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size7 MB
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