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________________ MMMMMMITMMMMMMMMMALAWALDADAMRAMMMMADIRAM चूड़ावत सरदारों ने उसको अपने कब्जे में कर लिया। जब राणा की द्रव्य की आवश्यकता होती तो कोष में नहीं है, यह कहकर मना कर देते थे। राजमाता ने राणा का जन्मोत्सव मनाने के लिए रुपया माँगा सो उसे भी यही उत्तर दे दिया। इसपर सोमचन्द गाँधी ने, जो अन्तःपुर की उद्योढ़ी पर काम करता था, राजमाता से कहा कि यदि उसे प्रधान बना दिया जाए तो सब प्रबन्ध कर देगा। अतएव उसे राज्य का प्रधान बना दिया गया। वह बहुत कुशल और चतुर था। उसने चूडायतों के शत्रु शक्तावतों और झाला सरदार को अपनी ओर मिला लिया और राणा पर चूहावतों का प्रमाय समाप्त करने में सफल हुआ। जयपुर और जोधपुर के नरेशों को उसने मराठों के विरुद्ध भड़काकर उनकी सहायता से 1787 ई. में लालसोट के युद्ध में मराठों को पराजित किया । किन्तु १६ अक्टूबर 1789 ई. में कतिपय विद्रोही सरदारों का महल में हो सकी हत्या कर दी। इस प्रकार इस राजनिष्ठ, लोकप्रिय, दूरदर्शी और नीतिकुशल मन्त्री सोमचन्द गाँधी का अन्त हुआ। उसके भाई सतीदास और शिवदास इस घटना का समाधार मिलते ही राणा के पात शिकायत करने गये। राणा सोमचन्द के हत्यारे रायत अर्जुनसिंह को कोई दण्ड तो नहीं दे सका, किन्तु उसे बुरा-भला कहकर अपने सामने से हटा दिया । राणा की आज्ञा से सोमचन्द का दाहकर्म पीछोले की बड़ी पाल पर किया गया और यहाँ उसको छत्री बनायी गयी। सतीदास और शिवदास गाँधी-सोमचन्द की मृत्यु के उपरान्त राणा ने उसके भाई सतीदास गाँधी को प्रधान बनाया और शिवदास उसके सहायक के पद पर नियुक्त हुआ। इन्होंने अपने भाई का बदला लेने का संकल्प किया। सतीदास ने अपने सहायक भीडर के सामन्त की सेना लेकर उक्त सुचत और डावतों की सेना के साथ अकोला में भीषण युद्ध किया, शत्रुओं को पराजित किया और सोमचन्द के हत्यारे रावत अर्जुनसिंह को पकड़कर मार डाला। मेहता मालदास इयोढ़ीवाल-राणा उदयसिंह के मन्त्री मेहता मेघराज ड्योढ़ीवाल की चौथी या पाँचवीं पीढ़ी में उत्पन्न हुआ था। मराठों को 1787 ई. में लालसोठ के युद्ध में पराजित करके राज्य के प्रधान सोमचन्द गाँधी ने मेहता मालदास को मेवाड़ और कोटा की संयुक्त सेना का अध्यक्ष बनाकर मराठों के विरुद्ध भेजा। मालदास ने वीरता एवं कुशलतापूर्वक कई युद्धों में मराठों को पराजित करके उन्हें मेवाड़ की सीमा से बाहर निकाल दिया। इसवर अहल्याबाई होल्कर और सिन्धिया की सेनाओं ने मेवाड़ पर चढ़ाई की तो उनके विरुद्ध अभियान में मालदास को ही पुनः सेना का अध्यक्ष बनाया गया। उस समय वह राज्य का प्रधान भी बन गया था, किन्तु 1788 ई. के मराठों के साथ हुए इस भीषण युद्ध में उसने वीरगति पायी। कर्नल टोन के अनुसार यह प्रधान मेहता मालदास और उसका नायब मौजीराम दोनों बुद्धिमान और चीर थे। सम्भवतया मौजीराम भी जैन था। 334 :: प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएं
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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