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की थी तथा इस स्थान के अन्य मन्दिरों के भी दर्शन किये थे। इस नरेश ने इस पुण्यतीर्थ को जो सनदें दी थीं वे कालान्तर में मैसूर के राजाओं द्वारा मान्य की गयीं।
लगभग 1550 से 1750 ई. के मध्य की दो शताब्दियों में विभिन्न वर्षो में लगभग तीस चालीस यात्रा संघों के श्रवणबेलगोल पर आने के उल्लेख वहाँ के शिलालेखों में प्राप्त होते हैं। इनमें से अनेक यात्री उत्तरभारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि स्थानों से भी आये थे। कई बार ये उत्तरभारतीय संघ अपने भट्टारक गुरुओं के नेतृत्व में पह
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उत्तर मध्यकाल के राजपूत राज्य : 349