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________________ दक्ष था। राजा बहधा दिल्ली में रहता था और राज्य का समस्त कार्यभार एवं शासन रघुनाथ भण्डारी ही करता था। वह ज्दार और दानी भी प्रसिद्ध या 1 लोक-कहाक्त चल पड़ी थी कि अजीत तो दिल्ली का बादशाह हो गया और रानाथ जोधपुर का राजा हो गया। खिमसी भण्डारी--दीपचन्द्र का पौत्र और रायसिंह का पुत्र था तथा अजीतसिंह के समय में राज्य का एक दीवान (मन्त्री) था। दिल्ली के बादशाह से उसने अपने राजा के लिए गुजरात की सूबेदारी की सनद प्राप्त की थी। कहते हैं कि उसने औरंगजेब से कहकर जजिया कर भी बन्द करवा दिया था। थानसिंह और अमरसिंह नाम के उसके दो पत्र थे। विजय भण्डारी राजा अजीतसिंह जब 1715 ई. में गुजरात का 47वाँ सूबेक्षार बना तो उसके वहीं पहुँचने तक बिजय भण्डारी ने उसकी ओर से गुजरात की सूबेदारी की थी। अनूपसिंह भण्डारी-रघुनाथ भण्डारी का पुत्र था और 1719 ई. में जोधपुर नगर का शासनाधिकारी था। यह कुशल राजनीतिज्ञ, वीर योद्धा और निपुण सेनानी था। जब 1715 ई. में दिल्ली के बादशाह ने अजीतसिंह के पुत्र युयराज अमयसिंह को नागौर का मनसबदार नियुक्त किया तो राजा ने अनूपसिंह को राजकुमार के साथ नागौर पर अधिकार करने के लिए भेजा । नागौर का राजा इन्द्रसिंह मी युद्ध करने पर कटिबद्ध था। नागौर के बाहर घमासान युद्ध हुआ, इन्द्रसिंह की सेना भार गयी और नागौर पर जोधपुस्यालों का अधिकार हो गया। राजा ने 1720 ई. में उसे अपना स्थानापन्न बनाकर गुजरात भेजा था। वहाँ उसने बई अत्याचार किये और अहमदाबाद के प्रमुख सेठ कपूरचन्द भंसाली की हत्या कर दी। पोमसिंह भण्डारी 1210 ई. में जोधपुर नरेश अजीतसिंह ने उसे जालौर एवं साँधौर का शासक नियुक्त किया था 1 1715 ई. में वह मेड़ता का शासक था और अनूपसिंह भण्डारी के साथ नागौर के युद्ध में सम्मिलित हुआ था तथा 1719 ई. में बादशाह फ़र्रुखसियर की हत्या हो जाने पर महाराज अजीतसिंह ने उसे सेना देकर अहमदाबाद (गुजरात) भेजा था। सूरतराम भण्डारी-1748 ई. में वह मेड़ता का प्रशासक था और राजा अभयसिंह ने उसे दो अन्य सामन्ती के साथ अजमेर पर अधिकार करने के लिए भेजा था। इन लोगों ने युद्ध करके उस नगर पर अधिकार कर लिया था। रतनसिंह भण्डारी-1700 ई. मैं जब दिल्ली के बादशाह मुहम्मदशाह ने जोधपुर नरेश अभयसिंह (1725-519 ई. को अजमेर और गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया तो उसके तीन वर्ष पश्यात् ही वह रतनसिंह भण्डारी को सूबे का कार्यभार सौंपकर स्वयं दिल्ली बला गया था और तब 1788 ई. से 1787 ई. पर्यन्त उक्त भण्डारी ने ही उस सूबे का शासन किया था। इस कार्य में उसे अनेक यह भी लड़ने पड़े। उस काल में सूबेदारी सरल नहीं थी, किन्तु स्तमसिंह भण्डारी भी उत्तर मध्यकाल के राजपूत राज्य :: 333
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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