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प्रमाणमीमांसा
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देशवृत्तिः सपक्षव्यापी यथा न द्रव्याणि दिक्कालमनांसि अमूर्तत्वात् । पक्षसपक्षेकदेशवृत्तिवपक्षव्यापी यथा द्रव्याणि बिक्कालमनांसि अमूर्तत्वात् । पक्षत्रयैकदेशवृत्तिर्यथा अनित्या पृथ्वी प्रत्यक्षत्वादिति ॥ २१ ॥
४९- उदाहरणदोषानाह
साधर्म्यवैधम्याभ्यामष्टाष्टौ दृष्टान्ताभासाः ॥ २२॥
५० - परार्थानुमानप्रस्तावादुदाहरणदोषा एवैते दृष्टान्तप्रभवत्वात् तु दृष्टान्तदोषा इत्युच्यन्ते । दृष्टान्तस्य च साधर्म्यवैधर्म्यभेदेन द्विविधत्वात् प्रत्येकम् 'अष्टावष्टौ ' दृष्टान्तवदाभासमाना: 'दृष्टान्ताभासाः भवन्ति ॥ २२ ॥
५१ - तानेवोदाहरति विभजति च
अमूर्तत्वेन नित्ये शब्दे साध्ये कर्म - परमाणु - घटाः साध्यसाधनेोभयविकलाः ||२३||
क्षणिक विशेष गुण नहीं पाया जाता। ) ( ६ ) पक्ष और विपक्ष के एक देश में रहने वाला तथा सपक्ष में व्याप्त हो कर रहने वाला, यथा दिक् काल और मन द्रव्य नहीं हैं, क्योंकि अमूर्त हैं (यहाँ अमूर्त्तत्व हेतु पक्ष के एक देश में रहता है एक देश में नहीं, क्योंकि मन अमूर्त नहीं है । विपक्ष द्रव्य है. उनमें से अमूर्त्तत्व हेतु भी आकाश में रहता है, पृथ्वी में नहीं, किन्तु सपक्ष गुणादि में व्याप्त होकर रहता है ।) (७) पक्ष और सपक्ष के एक देश में रहने वाला किन्तु विपक्ष में व्याप्त, जैसे- दिक् काल और मन द्रव्य हैं, क्योंकि अमूर्त हैं । (यहाँ द्रव्येतर पदार्थ विपक्ष हैं और अमूर्त्तत्व उनमें व्याप्त होकर रहता है ।) (८) पक्ष, सपक्ष और विपक्ष तीनों के एक देश में रहने वाला यथा पृथ्वी अनित्य है, क्योंकि प्रत्यक्ष है । ( यहाँ पक्ष परमाणु रूप पृथ्वी प्रत्यक्ष नहीं कार्य पृथ्वी प्रत्यक्ष है, अप और तेज के द्वयणुक प्रत्यक्ष नहीं होते अतः सपक्ष के एक देश में रहता है और विपक्ष अर्थात् नित्य पदार्थों में से सामान्य आदि प्रत्यक्ष हैं, आकाश प्रत्यक्ष नहीं है ! इस प्रकार तीनों के एक-एक देश में रहता है ।) ॥२१॥
४९ - उदाहरण के दोष
सूत्रार्थ - साधर्म्य और वैधर्म्य के भेद से दृष्टान्ताभास आठ-आठ प्रकार के हैं ॥२२॥
५०- परार्थानुमान का प्रकरण होने से उदाहरण के ही ये दोष हैं, किन्तु दृष्टान्त से उत्पन्न होने के कारण दृष्टान्त के दोष कहलाते हैं । दृष्टान्त दो प्रकार का है - साधर्म्यदृष्टान्त और वैधदृष्टान्त । इनमें से प्रत्येक के आठ-आठ दोष हैं। जो वस्तुतः दृष्टान्त के लक्षण से रहित हो किन्तु दृष्टान्त के सदृश प्रतीत हो वह दृष्टान्ताभास कहलाता है | ॥२२॥
५१ - दृष्टान्तदोषों के उदाहरणविभाग - सूत्रार्थ - अमूर्तत्व हेतु से शब्द की नित्यता सिद्ध करने के लिए कर्म, परमाणु और घट यह तीनों दृष्टान्त क्रमश: साध्य विकल, साधनविकल और उमविकल हैं । ॥ २३॥