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________________ ६० ] प्राकृत व्याकरण * 000000000000000000rssetworc0.komooooooooooootosresearc00000000000000 भर्थ:--प्राकृत भाषा के पुल्लिग अथवा नपुंसकलिंग वाले शब्दों को नियमानुमार स्त्रीलिंग में परिवर्तन करने के लिए हेमचन्द्र व्याकरण के सूत्र-संख्या २८४ से संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'डी-ई' के स्थान पर (प्राकृत में) 'ई' की प्राप्ति वैकल्पिक रूप से होती है। जैसे:- (साधन + ई =) साधनी पाहणो अथवा वैकल्पिक पक्ष होने से साहणा । (फुरुचर + ई-) कुरुचरा-कुरुचरी अथवा वैकल्पिक पक्ष होने से कुरुचरा। इन उदाहरणों में स्त्रीलिंग प्रत्यय रूप से दीर्घ 'ई' और 'आ' को कमिक रूप से प्राप्ति हुई है। अतः इस सूत्र में यह सिद्धान्त निश्चित किया गया है कि प्राकृत-भाषा में 'स्त्रोलिंग रूप' निर्माण करने में नित्य 'ई' की ही प्राप्ति नहीं होती है, किन्तु 'या' की प्रानि भी हुश्रा करती है । (साधन + ई)= साधनी संस्कृत प्रथमान्त एक वचन को रूप है। इसके प्राकृत रूप साहणी और साहणा होते हैं। इनमें सूत्र-संख्या १-१८७ से 'ध्' के स्थान पर 'ह' को प्राप्ति, १-२२८ से 'न्' के स्थान पर 'ण' की प्राप्ति; ३-३१ से 'स्त्रीलिंग रूपार्थक होने से' स्त्री प्रत्यय 'ई' की चैकल्पिक प्राप्ति होने से (साधन में) क्रम से 'ई' और 'श्रा' प्रत्ययों की प्राप्ति और १.११ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'सिम्स् का प्राकृत में लोप होकर क्रम से दोनों रूप साहणी और साहणा सिद्ध होजाते हैं। - (कुरुचर + ई=) कुरुचरी देशज प्रथमान्त एक वचन का रूप है । इसके प्राकुन रूप कुरुघरी और कुरुचरा होते हैं। इनमें सूत्र-संख्या ३-३१ से 'स्त्रीलिंग-रूपार्थक होने से स्त्री-प्रत्यय 'ई' की वैकल्पिक प्राप्ति होने से कुरुचर=में) कम से 'ई' और 'श्रा' प्रत्ययों की प्राप्ति और १-११, से प्रथमाविभक्ति के एक बधन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'सि-म' का प्राकृत में लोप होकर क्रम से दोनों रूप कुरुवरी और कुरुषरा सिद्ध हो जाते हैं। ३-३१॥ ___अजातेः पुंसः ॥३-३२॥ अजातिवाचिनः पुल्लिङ्गाद् स्त्रियां वर्तमानात् डीर्वा भवति, ॥ नीली नीला । काली काला । हसमाणी हसमाणा । सुप्पणही सुप्पणहा । इमीए इमाए । इमोणं इमाणं । एईए एआए । एईणं एमाणं । अजातेरितिकिम् । करिणी । या । एलया ॥ अप्राप्तेविभाषेयम् । तेन गोरी कुमारी इत्यादी संस्कृतवन्नित्यमेव डीः । अर्थः-जाति वाचक संज्ञा वालों के अतिरिक्त संचा थाले, विशेषण वाले, और सर्वनाम वाले शब्दों में पुल्लिग से स्त्रीलिंग रूप में परिवर्तन करने हेतु 'छी = ई' प्रत्यय की प्राप्ति वैकल्पिक रूप से हुआ करती है। जैसे:-नीला नीली अथवा नीला, काला = काली अथवा काला; हसमाना=हसमाणी अथवा हसमाणाः शूर्पणखा-सुप्पणही अथवा सुप्पणहा; अनया इमाए अथवा इमार अर्थात् इस (स्त्री) के द्वारा श्रासाम्-इमीणं अथवा इमाण अर्थात इन (स्त्रियों) का; एतया एईए अथवा एपाए अर्थात इस
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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