SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 605
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित # [ ६५ ] अति विस्तृत, दुर्बोध और विप्रकीर्ण व्याकरण- प्रन्थों के समूह से दुःखी हुए श्री सिद्धराज जयसिंह ने सर्वांग पूर्ण एक नूतन शब्दानुशासन श्रर्थात् व्याकरण की रचना करने के लिये श्राचार्य श्री हेमचन्द्र से प्रार्थना की और तदनुसार आचार्य हेमचन्द्र ने इस सिद्ध हेम शब्दानुशासन' नामक सुन्दर, सरल, प्रसाद-गुण-सम्पन्न नई व्याकरण की रचना विधि पूर्वक सम्पन्न की। [ प्राकृत व्याकरण-ग्रंथ का परिमाण २२८५ को जितना है ] हिन्दी - व्याख्याता का मंगलाचरण ( प्राकृत ) -- चत्तारि अटु - दस- दोय, वंदिया जिणवरा चडवीसा || परमदु-निट्टि - अड्डा, सिद्धा सिद्धिं सम दिसंतु ॥ १ ॥ (संस्कृत) - सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः || सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग् भवेत् ||२|| भूयात् कल्याणं भवतु च मंगलम् - X X X X —
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy