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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * इदम दमुः क्लीवे ॥४-३६१ ॥ अपभ्रंशे नपुसक लिंगे वर्तमानस्येदमः स्यमोः परयोः इमु इत्यादेशो भवति । इमुकुलु तुह तणउं । इस कुलु देवखु || अर्थः-अपभ्रंश भाषा में इदम् सर्वनाम के नपुसकलिंग बाचक रूप में प्रथमा विभक्ति में प्राप्तव्य प्रत्यय 'सि' को संयोजना होने पर तथा द्वितीया विभक्ति में 'काम' प्रत्यय प्राप्त होने पर मूल शब्द 'इदम्' और 'प्रत्यय' दोनों के स्थान पर दोनों विभक्तियों के एक वचन में 'इमु' रूप की आदेश प्राप्ति होतो है। जैसेः-1१) इदम् कुलम् = इमु कुल = यह कुल = या वंश । (२). तष तृणम् मह तण = तुम्हारा घास अथवा त्वत तणयं = तुह तणउं:- तुम से सम्बन्ध रखने वाला, ( यह, कुल ई ) (३) इदं कुलं पश्य = इभ कुल देवख = इस कुल को देख्न । ४.३६१ ॥ एतदः स्त्री-पु-क्लीबे एह-एहो-एहुं ॥ ४-३६२ ॥ अपभ्रशे स्त्रियां पुसि नपुसके वर्तमानस्येतदः स्थाने स्यमोः परयोर्यथा-संख्यम् एह पहो एहु इत्यादेशा भवन्ति ॥ एह कुमारी एहो नरू एहु मगोरह-ठाणु ॥ एहउँ वह चिन्तन्ताहं पच्छइ हाइ विहाणु ।। १ ।। अर्थः-अपनश भाषा में 'एतत' सर्वनाम के पुल्लिा में प्रथमा विभक्ति के एकत्रचन में मि' प्रत्यय प्राप्त होने पर सथा द्वितीया विभक्ति के एकवचन में 'अम् प्रत्यय प्राप्त होने पर मूल शब्द 'एतत' और 'प्रत्या' दोनों के स्थान पर 'हो' पद रूप की आदेश प्राप्त होती है । इसी प्रकार से 'पतत' सर्वनाम के स्त्रीलिंग में प्रथमा के एकवचन में तथा द्वितीया के एकवचन में मूल २.ब्द और प्रत्यय के स्थान पर 'ए.' पद रूप को आदेश प्राप्ति होती है । नपुसकलिंग में भी एतत' सर्वनाम की प्रथमा के एकवचन में और द्वितीया के एकवचन में मूल शब्द तथा प्रत्यय दोनों के स्थान पर पहु' पर रूप की आदेश प्राप्ति जानना चाहिये । सदाहरण क्रम से यों है:-(१) एषो मरः- एही नरू-यह नर पुरुष । (२) एषा कुमारी= एहतुमारी = यह कन्या । (३) एतन्म नोरथ स्थानम् एलु मणारह- ठाणु = यह मनोरथ स्थान ।। पूरी गाथा का अनुवाद यों है:संस्कृत:--- एषा कुमारी एष (अहं) नरः एतन्मनौरथ-स्थानम् ॥ एतत् मूखोणां चिन्तमानानां पश्चात् भवति चिभातम् ॥ १ ॥ हिन्दी:--यह कन्या है और मैं पुरुष हूँ; यह (मे) मन-कल्पना यों का स्थान है; यो सोचते हुए मूत्र पुरुषों के लिये शीघ्र ही प्रातः काल हो जाता है । और उनकी मनो-कामनाऐं ज्यों की त्यों ही रह जाती है। ) ॥१॥ ४-३६२ ।।
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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