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________________ [ ३६५ 56*******०००० अर्थ:-'अव उपमर्ग के साथ रही हुई संस्कृत 'वन पर प्राकृत भाषा में 'अव + फ्राशु' का 'ग्रोवास' रूपान्तर होता है । जैसे:- अबकाशति - ओषासह वह शोभा है अभ्या वह विराजित होता है ।। ४-१७६ ॥ = 4460460 * प्राकृत व्याकरण * संदिशेरपाहः ।। ४- १८० ॥ संदिशतेराह इत्यादेशो वा भवति || अप्नाइ | संदिसइ || अर्थ:- संदेश देना, खबर पहुँचाना' अर्थक संस्कृत धातु 'सं + दिश' के स्थान पर प्राकृत भाषा में विकल्प से 'अप्पा' धातु रूप की आदेश प्राप्ति होती है। वैकल्पिक पक्ष होने से 'संदित' भी होता हूँ। जैसे:- संदिशति - अप्पाहइ अथवा संदिस यह संदेश देता है अथवा वह खबर पहुँचाता है । ।। ४- १५० ॥ दृशो निच्छा पेच्छा वयच्छाव यज्झ वज्ज- सव्वदेक्खौ अक्खावखाव च्यवख- पुलोम- पुलन - निव आस-पासाः ॥ ४- १८१ ॥ | शेरेते पञ्चदशादेशा भवन्ति । निखच्छ । पेच्छइ । श्रवयन्छ । अव चज्जइ । सव्ववs | देख star | वक्खर । अव अक्वइ । पुलोएइ । पुलए६ | इति तु निध्यायः स्वरादत्यन्ते भविष्यति ।। निच । अव श्रास | पासइ ।। निजका = अर्थ:-'देखनां' अर्थ संस्कृत धातु 'दृश् पश्य के स्थान पर प्राकृत भाषा में पह धातु रूपों की आदेश प्रति होती है। जो कि क्रम से इस प्रकार है: - (१) निश्रद्ध, (२) पेच्छ, (३) श्रवयच्छ, (४) अ, (५) वग्न, (६) सम्भव, (७) देख, (८) श्री अक्ख, (+) अवक्ख, (१०) अवकल (११) पुर, (१२) पुलय, (१३) विश्व, (१४) अवल, और (१५) पास ॥ प्राकृत धातु 'निज्का' की प्राप्ति तो संस्कृत बातु 'नि + ब्ये' के आधार से होती है। उक्त रूप से प्राप्त प्राकृत धातु 'निज्झा' आकारान्त होने से स्वरान्त है और इसलिये सूत्र संख्या ४- २४० से इसमें काल-बोधक प्रत्ययों की संयोजना करने के पूर्व विकल्प से 'अ' विकरण प्रत्यय की प्राप्ति होती हैं। इस धातु का फाल बोधक प्रत्यय सहित उदाहरण इस प्रकार है: - निध्यायति-निज्झाअह (अथवा निज्झाइ 1- वह देखता है अथवा वह निरिक्षण करता है । 'दृश्= पश्य' के स्थान पर आदेश प्राप्त पन्द्रह धातु-रूपों के उदाहरण क्रम से इस प्रकार हैं:पश्यति = (२) निअच्छर, (7) पेच्छा (3) अवयच्छा, (४) अवयज्झइ, (५) वज्जइ, (६) सवय, (७) देक्खड, (८) भक्खर, (९) अवक्खर, (१०) अवअक्खड़, (११) पुठोएड. (११) पुलह, (१३] निमद, (१४) अवआसइ, और (१५) पासइ = वह देखता है ॥ ४-६८ ॥
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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