SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 404
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ३६४ ] * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित 'लौटना, वापिस श्राना, अथवा मुड़ना टेढ़ा होना' अर्थक संस्कृत धातु 'बल' के स्थान पर प्राकृत भाषा में विकल्प से 'वम्फ' धातु रूप को आदेश प्राप्ति होती है। वैकल्पिक पक्ष होने से 'वल' भी होता है। दोनों धातु रूपों के उदाहरण क्रम से इस प्रकार है : - वलति = बम्फर अथवा वलर = वह लौटता है अथवा वह टेढ़ा होता है । ४-१९७६ ॥ भ्रंशे: फिड - फिट्ट फुड-फुट्ट चुक्क भुल्लाः ॥ ४--१७७ ॥ अशा या भगति । फिडर । फिट्टह । फुडइ । फुट्ट । चुक्कर | भुल्लर | पक्षे । सह । अर्थ :- फूटना, फटना, टूटना अथवा नष्ट होना' अर्थक संस्कृत धातु ''श' के स्थान पर प्राकृत भाषा में त्रिकल्प से छह धातु रूपों की आदेश प्राप्ति होती है। जो कि क्रम से इस प्रकार है: -- (१) फिड, (५) फिट्ट. (३) फुड, (४) कुट्ट, (५) चुक्क, और (६) भुल्ल । वैकल्पिक पक्ष होने से पक्षान्तर में संस्कृत धातु रूप' अंश' का प्राकृत रूपान्तर 'म' भी होता है। उक्त सातों प्रकार के उदाहरण क्रम से इस प्रकार है । अपते (अथवा अंश्यति) = [१] फिडड़, [P] फिट्टर, [३] फुड, [४] फुट्टड, [५] rees, [f] as और [७] सइ - वह फूटता है, वह फटता है टूटता है अथवा वह नष्ट-भ्रष्ट होता है ॥ ४- १७७ ॥ नशेरिस - विहाब सेह - पडिसा सेहावहाः ॥ ४--१७७ ॥ ◆$75406GO नशेरते षडादेशा वा भवन्ति ॥ गिरणा सह । विहद्द । श्रवसेहद्द | पडिमा | सेहइ । श्रवद्दरइ | पक्षे | नस्सइ || अर्थ :- 'पलायन करना भागना' अर्थक संस्कृत धातु 'नश' के स्थान पर प्राकृत भाषा में विकल्प से छह धातु रूपों की यादेश प्राप्ति होती है। जो कि कम से इस प्रकार है । :- (१) हिरणास (२) शिवह, (३) अव सेह, (४) पडिसा, (५) सेह और (६) श्रवहर | कल्पिक पक्ष होने से 'नरस' भी होता है। यों उक्त एकार्थक सातों धातु रूपों के उदाहरण क्रम से इस प्रकार है : नश्यति = [१] णिरणासह, [7] वि. [३] अवहइ, [४] पडिसाइ [1] सेहइ, [६] भषहरा और [७] नएसइ वह पलायन करता है अथवा वह भागता है ।। ४-१०२ ॥ आवाकाशोवासः ॥ ४--१७६ ॥ भवात् परस्य काशी वास इत्यादेशो भवति || श्रवास ||
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy