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________________ * विद्योदय हिन्दी व्याख्या सहित * 04404 वैकल्पिक पक्ष होने से आठवां रूप 'हाय' भी होगा सभी के उदाहरण कम से इस प्रकार हैं:छादयति (अथवा छादयते) = (1) णुमइ, (२) नूमइ, (६) गूमइ. (४) सन्नुमइ, (५) ठक्कर, (६) ओम्बालड़. (७) पव्वाल और (4) छायड़ वह दांपता है, वह आच्छादित करता है | ४-२१ ॥ नित्रि पत्यो िहीडः || ४-२२ ॥ निवृगः पतेव एयन्तस्य सिहोड इत्यादेशो वा भवति || सिहोड | पक्षे | निवारेह पाडेह || [ ३५० ] 40 अर्थः--'नि' उपसर्गं सहित वृगु धातु और पत धातु में प्रेरणार्थक 'एयन्त' प्रध्यय साथ में होने पर दोनों धातुओं के स्थान पर प्राकृत में विकल्प से 'हिट' धातु रूप की यादेश प्राप्ति होती है। जैसे:- निवारयति = पिछोड़ वह कमाता है, पचान्तर में निवारयति के स्थान पर नारे भी होगा । पातयति = पिहीउड़ = वह गिराता है और पक्षान्तर में पांडेइ रूप भी होगा ||४-२२ दूङो दूमः ॥४-२३॥ दूङो एयन्तस्य दूम इत्यादेशो भवति || मेड़ मज्झ हिश्रयं ॥ अर्थः- प्रेरणार्थक स्यन्त प्रत्यय साथ में रहने पर धातु के स्थान पर प्राकृत में दूम धातुरूप की आदेश प्राप्ति होती है। जैसे दुनोति मम हृदयं = मे मज्झद्विभयं = वह मेरे हृदय की दुःखी करता है-पीड़ा पहुँचाता है। १४-२४ धवले दुमः ||४-२४|| धवलयतेपर्यन्तस्य दुमादेशो वा भवति ॥ दुमइ । धवलइ | स्वराणी स्वरा (बल) [४-२३८) इति दीर्घत्वमपि । दूमियं । ववलितमित्यर्थः ॥ I अर्थः-- प्रेरणार्थक एयन्त प्रत्यय के साथ संस्कृत बाद 'धवल' के स्थान पर प्राकृत में विकल्प से 'दम' तु रूप की. आदेश प्राप्ति होती है। जैसे: धवलयति = हम अथवा घयल कराता हैं, वह प्रकाशमान कराता है। सूत्र-संख्या ४-२३० के विधान से प्राकृत भाषा के पदों में बहे हुए स्वरों के स्थान पर प्रायः अन्य स्वरों की अथवा दीर्घ के स्थान पर हस्व स्वर की और स्व स्वर के स्थान पर दीर्घ स्वर की प्राप्ति हु करती है । जैसे- धतिमन्दुमिनं अथवा दुमि सफेद कराया हुआ अथवा प्रकाशमान कराया हुआ ।। ४-१४ ॥
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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