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________________ S * त्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित [ २६ '' संपद संस्कृत स्त्रीलिंग रूप है। इसके प्राकृत रूप संपआ और संपया होते हैं। इनमें सूत्र संख्या १-१५ से हलन्त अन्त्य व्यञ्जन 'स्' के स्थान पर कम से दोनों रूप संप और संपया सिद्ध हो जाते हैं। विद्युत् संस्कृत स्त्रीलिंग रूप है। इसका प्राकृत रूप विज्जू होता है । इसमें सूत्र संख्या २-२४ सेके स्थान पर 'ज' की प्राप्ति २-८९ से प्राप्त 'ज' को द्वित्व 'ज्ञ' को प्राप्ति १-११ सो अन्त्य हलन्त '' का लोग और ३-१९ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में उकारान्त स्त्रीलिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर अन्स्य ह्रस्व स्वर 'उ' को दोर्घ स्वर 'क' की प्राप्ति होकर विज्जू रूप सिद्ध हो जाता है । १-१५ ।। रोरा ॥ १-१६ ॥ स्त्रियां वर्तमानस्यान्त्यस्य रेफस्य रा इत्यादेशो भवति ।। श्रच्चापवादः । गिरा। धुरा । पुरा !! अर्थ:- संस्कृत भाषा में स्त्रीलिंग रूप से वर्तमान जिन शब्दों के अन्त में हलन्त रेक 'र्' रहा हुआ है। उन शब्दों को प्राकृत रूपान्तर में उक्त हलन्त रेक रूप 'र' को स्थान पर 'रा' आदेश प्राप्ति होती है। जैसे-गिर्= गिरा; बुर्बुरा और पुर = पुरा। इस सूत्र को सूत्र संख्या १-१५ का अपवाद रूप विधान समझना चाहिये। क्योंकि सूत्र संख्या १-१५ में अन्त्य व्यञ्जन के स्थान पर 'आ' अथवा 'घा' की प्राप्ति का विधान है। जबकि इसमें अन्य यञ्जन सुरक्षित रहता है और इस सुरक्षित रेफ रूप 'ए' में 'बा' की संयोजना होती है। अतः यह सूत्र १-१५ को लिये अपवाद रूप है । . I गिर संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप गिरा होता है । इस सूत्र संख्या १-१६ से अन्य रेफ रूप 'क' स्थान पर 'रा' आवेश होकर गिरा रूप सिद्ध हो जाता है । धर संस्कृत रूप है | इसका प्राकृत रूप धुरा होता । इसमें सूत्र संख्या १-१६ से अन्य रेफ रूप '' को स्थान पर 'श' की आवेश-प्राप्ति होकर रा रूप सिद्ध हो जाता है । पुर संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप पुरा होता है। इसमें सूत्र- संख्या १ १६ से अन्त्य रेफ रूप 'क' स्थान पर 'रा' आवेश होकर पुरा दप सिद्ध हो जाता है ।। १-१६ ॥ क्षुधोहा ॥ १-१७ ॥ I 1 क्षुघ् शब्दस्यान्त्य व्यञ्जनस्य हादेशो भवति ।। छुहा ॥ अर्थ संस्कृत भाषा के 'धू' शब्द के अत्यन्त हलत अन '' के स्थान पर प्राकृत रूपान्तर में 'हा' मावेश-प्राप्ति होती है। जैसेः तृष्= छुहा ॥
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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