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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * से प्रथमा विभक्ति के एक बचन में आकारान्त नपुमक जिंग में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर म' प्रत्यय की प्रारित और १.२३ से प्राप्त 'म' का अनुस्वार होकर मसाणं रूप सिद्ध हो जाता है। आष-प्राकन में 'इमसानम के सीमाणे और मुसाणं रूप होते हैं। इनकी साधनिका प्राकृतनियमों के अनुसार नहीं होती है इसी लिये ये आर्प-रूप कहलात हैं । २-८६ ।। श्चो हरिश्चन्द्रे ॥ २-८७ ॥ हरिश्चन्द्रशब्दे श्व इत्यस्य लुग भवति ।' हरि अन्दो । अर्थ:-संस्कृत शब्द 'हरिश्चन्द्र' में स्थित संयुक्त व्यन्जन 'श्च' का प्राकृत-रूपान्तर में लोप हो जाता है। जैसे:--हरिश्चन्द्रः = हरिअन्दो। हरिश्चन्द्रः संस्कृन रूप है। इसका प्राकृत रूप हरिअन्दो होना है। इसमें सूत्र-मख्या -- मे मंयुक्त व्यञ्जन 'श्च' का लोप; २-८० से 'द्र' में स्थित रेफ रूप 'र' का लोप और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्जिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर हरिअन्दा रूप सिद्ध हो जाता है। रात्रौ वा ।। २-८८ ॥ रात्रिशब्दे संयुक्तस्प लुग् वा भवति ॥ राई रत्ती ।। अर्थः-संस्कृत शब्द 'रात्रि' में स्थित संयुक्त व्यतन 'त्र' का विकल्प से प्राकृत रूपान्तर में लोक होता है । जैसे:--रात्रि:-राई अथवा रत्ती ॥ रात्रिः संस्कृत रूप है । इसके प्राकृत रूप राई और रत्ती होने हैं। इनमें से प्रथम रूप में मुत्रसंख्या २८८ से संयुक्त व्यन्जन 'त्र' का विकल्प से लोप; और ३.१६ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में इकारान्त स्त्रीलिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर अन्त्य ह्रस्व स्वर 'इ' को दीर्घ स्वर 'ई' की प्राप्ति होकर प्रथम रूप राह सिद्ध हो जाता है । द्वितीय रूप-(रात्रि:= ) रत्ती की सिद्धि सूत्र-संख्या-२-७E में की गई है।॥२-८८ ॥ अनादौ शेषादेशयोर्डित्वम् ॥ २-८६ ॥ पदस्यानादो वर्तमानस्य शेषस्यादेशस्य च द्वित्वं भवति । शेष । कप्पतरु । भुत्तं । दुद्धं । नग्गो । उक्का । अक्को । मुक्खा ॥ आदेश । डकको ! जक्खी । रग्गो। किच्ची । रुप्पी ।। क्वचिन भवति । कसिणी ॥ अनाद विति किम् । खलिअं। थेरो । खम्भो । स्योस्तु । द्वित्वमस्त्ययेऽऽति न भवति । विञ्चुगो । भिण्डिवालो ।।
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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