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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * [३७६ मे 'ज्ञ' में स्थित 'म के लोप होने के पश्चात् शेष 'ज' को द्वित्व 'जज' को प्राप्ति होकर प्रथम रूप अज्जा सिद्ध हो जाता है। द्वितीय रुप (आज्ञा =) भाणा में सत्र संख्या २-४२ से 'ज्ञ' के स्थान पर 'ण' की प्राप्ति होकर आणा रुप सिद्ध हो जाता है। संज्ञा संस्कृत रूप है । इसके प्राकृत रूप मंजा और सरणा होते हैं । इनमें से प्रथम रूप में मत्रसंख्या २-८३ से संयुस्त व्यञ्जन 'ज्ञ' में स्थित हलन्त व्यञ्जन 'काका लोप होकर प्रथम रूप सेजा मिन्द हो जाता है। द्वितीय रूप सपणा की सिध्दि सूत्र-संख्या २-४२ में की गई है। विएणणं रूप की सिद्धि सूत्रसंख्या २.४२ में की गई है । २-३ ।। मध्याहूने हः ॥२-४॥ मध्याह्न हस्य लुग् वा भवति ।। मभन्नो मज्झण्हो । अर्थः-संस्कृत शब्द मध्याह्न' में स्थित संयुक्त व्यञ्जन 'हू' के स्थन पर प्राकृत रूपान्तर में विकल्प से 'ह' का लप होकर 'न' शेष रहता है । जैसे:--मध्याह्नः मम्झनो अथवा मन्झएहो ।। जैकल्पिक पक्ष होने से प्रथम रूप में ह' के स्थान पर न' की प्राप्ति और द्वितीय रूप में 'ह' के स्थान पर 'राह' का प्रप्ति हुई है। मध्याहः संस्कृत रूप है । इसके प्राकृत रूप मज्झनो और माझरही हासे है। इनमें से प्रथम रूप में सूत्र-संख्या : २६ से संयुक्त व्यञ्जन थ्य' के स्थान पर 'झ' की प्राप्ति; २-८६ से प्राप्त 'झ' की द्वित्व 'झम' की प्रप्ति; २०६० से प्राप्त पूर्व 'झ' को 'ज' की प्राप्ति; १-८४ से दीर्घ स्वर 'श्रा' के स्थान पर हस्व स्वर 'अ' की प्राप्ति २-८४ से संयुक्त व्यञ्जन 'ह्न में से 'ह' का विकल्प से लोप; २-८६ से शेष 'न' को द्वित्व 'न' की प्राप्ति और ३-२ से प्रश्रमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्री' प्रत्यय की प्राप्ति हो कर प्रथम रूप मज्झन्नो सिद्ध हो जाता है । द्वितीय रुप ( मध्याह्न) मज्झरहो में 'मज्झ' तककी साधनिका प्रथम रूप के समान हो; तथा आगे सूत्र-संख्या २-७५ से संयुक्त व्यञ्जन 'खके स्थान पर रह थादेश की प्राप्ति और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्रामि होकर द्वितीय रूप मज्ाण्ही भी सि ..... ४॥ दशाहे ॥ २-०५॥ प्रथग्योगाद्वेति निवृत्तम् । दशाई हस्य लुम् भवति ।। दसारो ॥
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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