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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित [ ३११ रिस्टो रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १-१४० में की गई है। सक्षः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप रितखो होता है। इसमें सूत्र-संख्या १-१४० से 'भू' की __र; २.३ से 'क्ष' के स्थान पर 'रस' की प्राप्ति, २-८८ से प्राप्त 'ख' को द्वित्व 'स्व ख' की प्राप्ति; २-६० से माप्त पूर्व 'ख' को 'क' की प्राप्ति और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्रो' प्रत्यय को प्राप्ति होकर रिक्खो रूप सिद्ध हो जाता है। - क्षिप्तम संस्कृन विशेषण रूप है । इसका प्राकृत रूप छूटं होता है । इसमें सूत्र संख्या २-१२७ से संपूर्ण 'क्षिप्त' के स्थान पर 'बूद' का आदेश; ३-२५ में पथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर द्ध रूप सिद्ध हो जाता है। वक्षः संस्कृत रूप है ! इसका प्राकृत रूप रुखो होता है। इसमें सूत्र संख्या २-१२७ से 'वस' के स्थान पर 'रुख' का आदेश और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर रुकवा रूप मिद्ध हो जाता है। - - - छूढो रूप को सिद्धि इसी सूत्र से ऊपर कर दी गई है। अन्तर इतना सा है कि ऊपर नपुसकात्मक विशेषण है और यहाँ पर पुलिंबगात्मक विशेषण है । अतः सूत्र संख्या ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्झिा में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर छूढो रूप मिद्ध हो जाता है ॥२.१६॥ क्षण उत्सवे ॥२-२०॥ पण शब्दे उत्सवाभिधायिनि संयुक्तस्य बो भवित ! कणो ॥ उत्सव इतिकिम् । खयो । अर्थः--क्षण शब्द का अर्थ जब 'उत्सव' हो तो उस समय में क्षण में रहे हुए संयुक्त प्यान '' फा 'छ' होता है । जैसे:-क्षणः = ( उत्सव ) -छणो 11 प्रश्नः-मूल-सूत्र में 'उत्सव' ऐसा उल्लेख क्यों किया गया है ? उत्तरः-~क्षण शब्द के संस्कृत में दो अर्थ होते हैं। उत्सव और काल-बाचक सूक्ष्म समय विशेष । अत: जब 'क्षण' शब्द का अर्थ उत्सव हो तो उस समय में 'क्ष' का 'छ' होता है एवं जब 'क्षप्प शब्द का अर्थ सूक्ष्म काल वाचक समय विशेष हो तो उस समय में 'क्षण' में रहे हुए 'न' का 'ख' ोता है। जैसे:'क्षण: (समय विशेष )-खायो || इस प्रकार की विशेषता बतलाने के लिये ही मूल-सूत्र में उत्सव' शम्म जोड़ा गया है। Mp4
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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