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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * [ २८४ संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप छुट्टी होता है। इसमें सूत्र संख्या १-२६५ से सर्व प्रथम वर्ण 'ष' का 'छ' ६-७७ से द्वितीय 'व' का लोपः २-८६ से शेष 'ठ' को द्रित्व 'ठूल' की प्राप्ति और २०१० से प्राप्त पूर्व 'ठ' को 'टू' की प्राप्ति होकर छठ्ठी रूप सिद्ध हो जाता है। पद: संस्कृत रूप हैं। इसका प्राकृत रूप छप्पओ होता है। इसमें सूत्र संख्या २-२६५ से सर्व प्रथम वर्ग 'ष' का 'छ' २७७ से 'द' का लोप; २६ सेप को द्रिवप्प' की प्राप्तिः १ ९७७ से 'दु' का लोप और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर छप्पजी रूप की सिद्धि हो जाती हैं । षण्मुखः संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप म्हो होता है। इसमें सूत्र संख्या १-२६५ से सर्व प्रथम वर्ण 'प' का '' १.२५ से 'ए' को पूर्व व्यजन पर अनुस्वार की प्राप्ति एवं ९-३० से प्राप्त अनुरवार को परवर्ती 'म' के कारण से 'म्' की प्राप्तिः १- १६७ से 'ख' का 'ह' और ३-२ प्रथमा विभक्ति के एक बचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर मुझे रूप की सिद्धि हो जाता है । शमी संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप छमी होता है। इनमें सूत्र संख्या १-२६५ से 'श' का 'छ' होकर छमी रूप सिद्ध हो जाता है । शाषः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप ब्रावो होता है। इसमें सूत्र- संख्या १-२६५ से 'श' का 'छ' और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्री' प्रत्यय की प्राप्ति होकर छावो रूप सिद्ध हो जाता है । हा रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-१७ में की गई है। छत्तिवरूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-४९ में की गई। शिरायां वा ॥ १-२६६ ॥ शिरा शब्दे श्रादेशो वा भवति ॥ छिरा सिरा || अर्थः - संस्कृत शब्द शिरा में रहे हुए यदि अक्षर 'श' का विकल्प से '' होता है। जैसे:शिश:-रा अथवा मिरा ॥ ।। १-२६५ ।। कि संस्कृत रूप है। इसके प्राकृत रूप लिरा और सिरा होते हैं। इनमें से प्रथम रूप में सूत्र संख्या १-२६६ से 'श' का विकल्प से 'छ' और द्वितीय रूप में सूत्र संख्या १२६० से श' का 'न' होकर क्रम से छिरा और सिरा दोनों रूपों की सिद्धि हो जाती है । ॥ १-२६६ ॥ N Y
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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