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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित रिस रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १०५ में की गई है। एरिस रूप की सिद्धि सत्र संख्या १०५ की गई है । ५ [१५६ अन्याद्दशः संस्कृत विशेषण है। इसका प्राकृत रूप अन्नारिस होता है। इसमें सूत्र संख्या -२-७८ से 'यू' का लोप २-८६ से 'न' कः द्वित्व 'न' १-१७७ से 'दू' का लोप ९-१४२ से 'ऋ' की 'रि'; १२६० से 'श' का 'स्'; और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक बचन में पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'यो' प्रत्यय की प्राप्ति होकर अन्नरिसो रूप सिद्ध हो जाता है। अहः संस्कृत विशेषण है। इसका प्राकृत रूप अम्हारिसों होता है । इसमें सूत्र संख्या २७४ से 'रम्' के स्थान पर 'ह' का आदेश; १-१७७ से 'दू' का लोप १-१४२ से 'ऋ' को 'रि; १-२६० से 'श' का 'स' और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' की है। सुष्मासः संस्कृत विशेष है। इसका प्राकृत रूप तुम्हारिमो होता है । इसमें सूत्र संख्या- १-२४६ से 'य्' के स्थान पर 'तू' का आदेश २०७४ से 'म्' के स्थान पर 'म्ह' का आदेश; १-१७७ से 'दु' का लॉप, १-१६२ से 'ऋ' की 'रि'; १-२६० से 'श' का 'स'; और ३-२ प्रथमा विभक्ति के एक वचन में पुल्लिंग 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्री' प्रत्यय की प्राप्ति होकर तुम्हारिसों रूप सिद्ध हो जाता है ।। १४२ ।। श्रादृते दि: ॥ १-१४३ ॥ यादत शब्दे ऋतो बिरादेशो भवति । श्रादिओ || अर्थः- आइत शब्द में रही हुई 'ऋ' के स्थान पर 'वि' आदेश होता है । जैसे - आइतः का आदिश्र ॥ wer: संस्कृत विशेषण है। इसका प्राकृत रूप श्रढियो होता है। इसमें सूत्र- संख्या १-१७७ मे दू का जप १-६४३ से 'ऋ' की 'दि १-१७७ से न' का लोप; और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक बचन पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर आढिओ रूप सिद्ध हो जाता है ||४३|| 3 रिते ॥ १-१४४ ॥ स शब्दे ऋतो रिरादेशो भवति || दरियो | दरित्र - सौदे || अर्थ: शब्द में रही हुई 'ऋ' के स्थान पर 'अरि' प्रदेश होता है। हप्तः संस्कृत विशेषण है। इसका प्राकृत रूप दरिओ होता है। इनमें सूत्र संख्या १-१४४ से 'ऋ' के स्थान पर 'र' का प्रदेशः २००७ से 'पू' का लोप १-१७७ से 'स' का लोप; और ३-५ से प्रथमा
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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