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________________ चतुर्थपाद: ★ संस्कृत-हिन्दी टीकाद्वयोपेतम् ★ २३९ यहां पर इस प्रत्ययान्तस्मद् शब्द (मम) के स्थान में प्रस्तुतसूत्र के द्वारा मज यह प्रादेश किया गया है। १०५६-श भाषा में और माम् इन प्रत्ययों के साथ अस्मद् शब्द के स्थान में अहं यह आदेश होता है । जैसे- १ - प्रस्मद् भवन् आगतः = श्रम्हहं होम्सउ प्रागदो [हमारे से होता हुआ भा गया है ] यहां पर स्-प्रत्ययान्त अस्मद् शब्द (मस्मद्) के स्थान में 'अम्हहं' यह प्रादेश किया गया है। आम्-प्रत्यय का उदाहरण भग्नाः अस्माकं सम्बन्धिनः अह भग्गा अम्हहं तथा [ यदि हमारे सम्बन्धी पक्ष वाले मारे गए हैं] यहां पर आम्-प्रत्ययान्त भस्म शब्द (अस्माकम् ) के स्थान में 'अहं' यह प्रादेश किया गया है। १०५२ - प्रपत्र 'शभाषा में सुष-प्रत्यय के साथ अस्मद् शब्द के स्थान में 'बम्हासु' यह आदेश होता है। जैसे - अस्मासु स्थितम् म्हासु ठिप्रं (हमारे में रहा हुआ है। यहां पर सुप्-प्रत्ययान्त अस्मद् शब्द (अस्मासु ) के स्थान में 'अम्हासु' यह आदेश किया गया है। ★ अथ स्यादि विधिः * · १०५३ - स्यादेराव - श्रथस्य संबन्धिनो हि न वा । ८ । ४ । ३८२ । त्यादीनामाद्य त्रयस्य संबन्धित बहुष्वर्थेषु वर्तमानस्य वचनस्याऽपभ्रंशे हि इत्यादेशो वा भवति । सहे सोह धरहि, न मल्ल-जुज्भु ससि राह कहि । तहें सहहिं कुल भमर-उल-तुलिश, न तिमिर डिम्भ खेल्लन्ति मिलि ॥ १॥ १०५४ - मध्य त्रयस्याश्र्वस्य हिः । १४१३८३ त्यादीनां मध्य त्रयस्य यदाद्यं वचनं तस्यापभ्रंशे हि इत्यादेशो वा भवति । मुह-करिब श्रात्मनेपदे । सप्तम्याम् । audieा ! पिउ पिउ भणवि कित्तिउ रुनहि हमास ! | तुह जलि मह पुणु वल्लहइ बिहुँ वि न पूरिय प्रास ॥१॥ auपोहा ! कई बोल्लिएण, निग्विण ! वार इ वार । सायरि भरि विमल-जलि लहहि न एक्कइ धार ॥२॥ श्रहिं जन्महिं अनहिं वि गोरि ! सु दिज्जहि कन्तु । गय मत्तहँ चसकुसहं जो प्रभिss हसन्तु ॥३॥ पक्षे । रुमसि । इत्यादि । १०५५ बहुत्वे हुः । १४१३८४| त्यादीनां मध्यम त्रयस्य सम्बन्धि बहुष्वर्थेषु वर्तमानं यद्वचनं तस्यापा से ह इत्यादेशो वा भवति । बलि प्रमणि मह-महणु लहुईहूना सो इ । जर इच्छहु, वड्डसण, देहु म मगह को इ ॥ १ ॥ पक्षे । इच्छत् । इत्यादि ।
SR No.090365
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorHemchandrasuri Acharya
PublisherAtmaram Jain Model School
Publication Year
Total Pages461
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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