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ग्रन्थ न केवल जैन साहित्य की बल्कि विश्व-साहित्य की बहुमूल्य धरोहर हैं। हमें विश्वास करना चाहिए कि इनके प्रकाशन से हिन्दी भाषा के अध्ययन-अनुसंधान के मयेद्वार तो खुलेंगे ही, साथ ही संस्कृतसाहित्य भी समद्ध होगा । 'नामार्योदयसागर कोश' एक तरह का पर्यायकोश है. जिसमें शब्दों की नाना विवक्षाओं (अर्थछवियों) पर बहुत गहराई से प्रकाश डाला गया है। अंग्रेजी में तो इस तरह के कोश-संपादन की परम्परा है किसुसंस्कृत में नाम से जगा में इसका अवतरण एक महत्त्वपूर्ण कार्य है ! इस कोश से हिन्दी की भाषाशास्त्रीय संपदा अवश्य समृद्ध होगी।
इस ग्रन्थत्रयी की शृंखला में से सर्वप्रथम प्रकाशित हो रहा है, 'प्राकृत चिन्तामणि', जिसके कुल मिलाकर १० पट है: किन्त ये सब गागर में सागर हैं। टाइप छोटा है किन्त इस बात की परी सावधानी रखी गई है कि यह भाषा और मुद्रण की दृष्टि से पूर्णतया निर्दोष हो। उक्त ग्रन्थ में प्राकृत भाषा (पृष्ठ १-६६), शौरसेनी भाषा (६७-८०), मागधी भाषा (७१-७३), पैशाची भाषा (७३-७५), तथा अपभ्रश भाषा [७७-८६) की संरचना पर विचार किया गया है। यह काम ५६८ मूत्रों में संपन्न हमा है । व्यवस्था इस प्रकार है-सूत्र, कौमुदी, और दीपिका । सूत्र और गौमुदी (अर्थ-विवृति संस्कृत में हैं: किन्तु दीपिका में संबंधित सूत्र या सूत्रों के सरल हिन्दी में अनुवाद दे दिये गये हैं। इस तरह 'प्राकृत चिन्तामणि' संस्कृत और हिन्दी दोनों भाषा-भाषियों के लिए उपयोगी बन गयी है।
वस्तुतः आज हिन्दी और संस्कृत के जानकार तो उपलब्ध है; किन्तु 'प्राकृत चिन्तामणि' में जिन लोकभाषाओं के व्याकरण को प्रतिपादित किया गया है, उनके जानकार प्राप्य नहीं हैं । जहाँ तक जैन वाङमय का प्रश्न है, उसकी गहराइयों में उतरने के लिए प्राकृत, शौरसेनी, मागधी, पैशाची और अपभ्रश भाषाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है। इन्हें जाने विना अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है। वस्तुतः इस ग्रन्थ के प्रकाशन से जैन साहित्य के अध्ययन-अनुसंधान के नये क्षितिज खुलेंगे और प्राकृत के अध्ययन का मार्ग प्रशस्त होगा।
हम तपस्वी ध्यानयोगी मुनि श्री कन्हैयालालजी महाराज के कृतज्ञ हैं जिन्होंने इतनी अमूल्य अप्रकाशित निधि को प्रकाशित करने का अवसर प्रदान किया ।
मुझे विश्वास है कि पूज्य श्री घासीलाल जी महाराज साहित्य प्रकाशन समिति, इन्दौर निकट भविष्य में ही उनके संपूर्ण वाङमय के निर्दोष प्रकाशन में सफल होगी। दीपावली १९८७
—नेमीचन्द जैन संपादक 'तीर्थकर', इन्दौर