SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७४ ) प्रद्य म्न का दो मायामयी बन्दर रचना वाडी देखी अचंभिउ वीर, तब मन चिंतइ साहस धीर । जइसइ लोग न जाणड कोइ, वांदर दुइ निपजाबइ सोइ ॥३४६।। तउ वंदर दीने मुकलाइ, तिन सब वाडी घाली खाइ। जो फुलवाडि हुतो वहु भाति, बंदर घाली सयल निपाति ।३५०। फुरिण ते वंदर पइठे मोडि, रूख विरख सब धाले तोडि । सब फल हली तव संघरी, तउपट करि सव वाडी धरी ॥३५१।। लंका जइसी को हणवंत, तिम बारी की बालखयंत । भानु कुम्वर हो वैठो जहा, मालि जाइ पुकारचो तहा ॥३५२ ॥ मालि भरणइ दुइ कर जोडि, मो जिन सामी लाबहु खोडि । वंदर द से पइ3 प्राय. तिहि सब बाडी घाली खाइ ।।३५३॥ जबति माली करी पुकार, रथ चढी कुम्वर लए हथियार । पवण वेग सो धायउ तहा, बंदर वाडी तोरी जहा ॥३५४।। (३४६) १. जागइ (क ख ग) २. यानर (क) बंदर (स्य 7) (३५०) १. वानर (क) २. फुलयाडि (ग) मूलप्रति में फुलवावि पाठ है । यह चौपई 'ख' प्रति में नहीं है। (३५१) १. पुरगते (ख) २. पठए (क) ३. हा (ख) ४. सव्व फलाहली (ख) फुनाड़ी (ग) ५. चउपर वाडी करि सवि धरी (क ख) चउड नपट तिह बाडी करी (ग) मूलप्रति में 'वेद पाठ है (३५२) १. जिस करी (क) जेमसी (ग) २. करी (क ख ग) ३. लोधी क्षु अपंत (क) फिय काल कयंति (ख) तर वाडी बंदरि रवाधन्ति (ग) ४. छह (क) मा (ख) (३५३) १. विनषाद (क ग) २. मुझ (क) मोहै (ग) ३. मल (क) ४. वनचर (क) ५. बासी (क) दुइ (ख ग) ६. इहि बदठा प्राह (ग) दुइ तहि पठे पाप (ख) ७. तिन (फ) तिन्ह (ख) तिम्ह (ग) -. (३५४) १. जव लिहि (क ख ग) २. भाउ (क) पहला (ग) ३. वानर (क) ४. तोस (क) तोडी (ख) तोहि (ग)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy