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१ २२२ ) (६६६) जो मनुष्य इसकी प्रतिलिपि करेगा अथवा तैयार करवाकर अपने साथ रखेगा तथा महान गुणों से परिपूर्ण, रचना को पढावेगा वह मनुष्य स्वर्ण भण्डार को प्राप्त करेगा।
(७००) यह चरित्र पुण्य का भण्डार है जो इसे पढ़ेगा वह महापुरुष होगा तथा उसको संपत्ति, पुत्र एवं यश प्राप्त होगा और प्रद्य म्न उसे तुरन्त फल दंगे।
(०१) कय कहता है कि मैं बुद्धि हीन हूँ और अक्षर तथा मात्रा के भेद को भी नहीं जानता हूँ ! विद्वानों को मैं हाथ जोड़ कर नमस्कार करता हूँ कि वे मेरी ( अक्षर मात्रा की) हीनाधिकता की त्रुटियों पर ध्यान न दें।