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________________ ( १४७ ) (५१) जो शंख चक्र और गदा धारण करता है तथा बलिभद्र जिसका भाई है। अपने वाण से जो सात ताल वृक्ष को श्रधता है, नारद ने कहा नही नारायण है । (५२) ( नारदजी ने) सुन्दर रत्नों से और कहा कि जो उसे अपने कोमल हाथों से परिपूर्ण नारायण है । जड़ी हुई वन की अंगूठी दी चकनाचूर कर दे बड़ी गुणों से नारद का श्रीकृष्ण के पास पुनः आगमन (५३) इस प्रकार बात निश्चित करके रुक्मिणी का चित्रपट लिखना कर उसे अपने साथ लेकर और विमान में चढ़ कर नारद ऋषि वहां आए जहां नारायण सभा में बैठे हुये ये । (५४) महाराज बार बार चित्र पट दिखाने लगे उससे (श्रीकृष्ण) का मन व्याकुल हो गया। उनका शरीर कामबाण से घायल हो गया और वे बहुत विल हो गये 1 (५५) क्या यह कोई अप्सरा है अथवा वनदेवी है । अथवा कोई मोहिनी तिलोत्तमा है । क्या यह सुन्दर रूप वाली विद्याधरी है। इस स्त्री का यह रूप किसके समान है । (५६) नारद ऋषि ने सत्यभाव से कहा कि कुण्डलपुर नामक एक नगर है। उसके राजा भीष्म से मैं तत्काल मिला और उसी की यह कन्या रुमिणो है । (५७) उसको मैंने आपके लिये मांग लिया है । जाकर के विवाह करलो देर मत करो। कामदेव का मंदिर संकेत-स्थल है उसी स्थान पर शाकर भेंट कराऊंगा ! श्रीकृष्ण और हलधर का कुण्डलपुर के लिये प्रस्थान (१८) तब श्रीकृष्ण बहुत संतुष्ट हुये । मन में हँस कर आनन्द मनाने लगे । रथ को सजवा कर एवं सारथी को बिठाकर अपने साथी (भाई) लघर को बुला लिया ।
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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