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________________ ( १०४ ) छोडि आस तड़ परिगह तशी, अरु त छोडी सो रुक्मिणी । जउ तेरे मन कछू न ग्राहि, पभराइ भयगु जीउ ले जाहि ॥ ५९६ ॥ प्रद्युम्न के उत्तर के कारण श्रीकृष्ण का क्रोधित होना एवं धनुष बाण चलाना "4 ક્ मण पछितावउ जादमुराउ, मइयासह बोल्ड तिनाउ । 3 ४ इहि मोस्यो बोल्यो प्रगलाइ, अव मारउ जिन जाइ पलाइ ॥ उपनउ कोप भइ चित कारिण, धनुष चढाइयउ सारंगपारिंग ॥५१७ ॥ * अर्द्धचंद्र तहि वाधि बारा, अब याकत देखियउ परागु । 3 ४ साधि धनियउ दीठउ जाम, कोपारूढ मय भो ताम ॥ ५१८ ॥ कुसुमवाण तव बोलिउ वयेगु, धनहर छोनि गयउ महमहणु | २ Y हरि को चाउ टिगो जाम, दूजइ धनष संचारिउ ताम ।। ५६६ ॥ २ फुरिण केंद्रपु सरु दीनख छोडी, वहइ धनकु गयो गुण तोडि । 3 * कोपारूढ कोप तब भयउ तीजउ चाउ हाथ करि लयउ || ५२० ।। (५१६) तजी (ग) २. जीवडा (ग) (५१७) १. मनि ( ख, ग ) २. मह इसिज (ग) मइ सुख (ग) ३. श्रागलड (ख) ४. इव ( ख ) जिन ( ग ) (५१८) १. तिनि संध्या वाणु (ग) २. इष इह (ख) इव देख तु तरा निदान (ग) ३. बरहरू ( ख, ग ) ४. कोपिरूप ( ग ) (५१९) मेलिउ ( ग ) २. चाउ ( ख ) मयणु ( ग ) २. छिन्नउ तब ( ग ) ४. तव हरि घाउ तूटिया ताम (ग) ५. चढाया ( ग ) नोट- दूसरा और तीसरा चरण प्रति में नहीं है ? (५२०) १. तब (ग) २. मुहई ( ख ) ऊभी धष गया सो तोडि (ग) ३. fasy (er) faby (1) Y. HEITI (1)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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