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अनुक्रम
पषहसरवी सन्धि
२-३२ युद्धका वर्णन, युद्धके नामा पादोंकी ध्वनि, युद्ध जन्य-विनाश, हनुमान द्वारा उत्पात, सुग्रीवका अपना रथ आगे हाँकना । विभीषणके बाप रामने युद्धको वागडोर हाथमें ली । राम और रावणका आमना-सामना। सीताके सन्दर्भमें घोगोंकी मानसिक स्थितिका चित्रण, भयंकर अस्त्रोंके प्रयोगका वर्णन, तीरोंसे युद्धभूमिका भर जाना, सात दिवसकी घमासान लड़ाई के बाद लक्ष्मणका युद्ध में प्रवेश, रावणका प्रकोप, प्रबल तोरों से संघर्ष, दोनों में सुमुल मुद्ध । एकके बाद एक रावणके सिरोंफा काटा जाना, रावण द्वारा अन्तमें पनका प्रयोग, पक्रका कुमार
लक्ष्मणके हाथमें आ जाना, चक्रसे रावणका आहत होना । छिहत्तरषी सन्धि
देवताओं द्वारा कलकल ध्वनि, निशाघरों में गहरी निराशात्मक प्रतिक्रिया, देवताओं द्वारा राम सेनाका अभिमन्दन, राक्षस वंशका पतन, मन्दोदरीका विलाप, उसके द्वारा स्वयं युद्ध-स्थलमें अपने पतिकी पहचान, युद्धजन्य विनाशका वर्णन, रावणकी मृत्युका करुण विषण, अन्तःपुरका मूठित होना, मन्दोदरीफा करुण क्रन्दन, अन्तःपुरकी दीनहीन दशाका विवरण, इन्द्रजीत
और कुम्भकर्णको रावणकी मृत्युका पता लगना, कुम्मकर्णको मूर्छा माना। इन्द्रजीतका म्याकुल होना । राम पक्षका भाग्योदय ।