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________________ i नन्येव सर्ग त्रिभुवन स्वयंभू धवलके गुणोंका वर्णन दुनिया में कौन कर सकता है 1 बालक होनेपर भी जिसने स्वयंभू कविके कान्यभार का निर्वाह किया। फिर भी उस इन्द्रने जो तप और संयमके नियमोंसे युक्त था, पूछा, “हे परमेश्वर, संक्षेपमें बताइए कि राजा दशरथ कहाँपर हैं ?" [१] "इसके अतिरिक्त शुद्धमति आपने देखा होगा कि लवण और अंकुशकी क्या गति हुई, जनक कनक और कैकेयीकी क्या गति हुई, अपराजिता और सुप्रभाकी क्या गति हुई, लक्ष्मी माँ कैकेयी और सुन्दरमति भामण्डलकी क्या गति हुई ।" यह सुनकर देवताओंसे नमित्तन्पद केवली भगवान्ने कहा, "दशरथ तेरहवें स्वर्ग में गये हैं, जहाँपर उनकी पूरी आयु बोस सागर प्रमाण हैं, जनक और कनक भी वहीं पर उत्पन्न हुए हैं, वहाँ साढ़े तीन हाथके लगभग शरीर होता है, और भी दूसरे लोग वहीं पर उत्पन्न हुए हैं। अपराजिता कैकयी सुप्रभा आदि भी जिन्होंने कैकयीके साथ परिसह सहन किये, और भो बोर तप साधनेवाले दूसरोंने देवत्व प्राप्त किया है। जो पूर्वजन्म में, तुम्हारे पुत्र थे और जिन्होंने तीनों लोकोंमें विजय ग्राप्त की थी, उन लवण और अंकुशको पाँचवीं गति प्राप्त होगी ॥ १-२ ॥ [२] दक्षिण दिशा में मन्दराचल है, जिसकी गुफाएँ नन्दनवनसे भूषित हैं। वहाँ कुरु भूमिमें भामण्डल उत्पन्न हुआ है ! उसकी आयु तीन पल्य प्रमाण हैं ।" तब उस इन्द्र ने पूछा, “किस २२
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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