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________________ | | संधि १९३ अरिदमनकी पाँचों शक्तियों को युद्धमें स्वयं झेलकर, अब कौन क्षेमांजलीपुरकी जितप्रभाको अपने हाथ में लेगा ।। १-२ ।। [१३] हे लक्ष्मण, तुम्हारे बिना गुणधर मुनिवरों का उपसर्ग अब कौन दूर करेगा अब दुनिया में तुम्हारे बिना सूर्यहाए तर बिना कट किसके पास जायगी ? तुम्हारे बिना अब कौन वीर शम्बुकुमारको खेल-खेल में मार गिरायेगा ! तुम्हारे विना अब कौन विकारोंका प्रदर्शन करती हुई चन्द्रनखाको पहचान सकेगा ? तुम्हारे बिना अब कौन खर-दूषण और त्रिशिरका जीवन अपहरण करेगा ? प्रमदाओंके समूह को तुम्हारे विना अब कौन समझाएगा ? अब कौन कोटिशिला उठायेगा ? और अब तुम्हारे बिना लंकाके निकट स्थित हंस द्वीप और उसके राजा हंसरथको जीतेगा ? हे भाई, तुम्हारे बिना अब इन्द्रजीत को कौन पकड़ेगा ? और रावणकी शक्तिका सामना कौन कर सकेगा ? शल्य दूर करनेवाली विशल्या, तुम्हारे विना सूर्योदयके पहले अब किसके पास आयेगी ? तुम्हारे बिना चक्ररत्न अब किसे उपलब्ध होगा ? और कौन बहुरूपिणी विद्याका नाश करेगा ? तुम्हारे बिना अब कौन रावणका यम बनेगा और विभीषण के लिए सम्पत्तिका दान करेगा ? तुम्हारे बिना अब कौन है जो मेरी मनचाही पत्नी सीतादेवी से भेंट करायेगा ? कौन अब तीन खण्ड धरतीका निर्विघ्न परिपालन करेगा ? ।। १-१२ ॥ [१४] अरे मेरे दोनों पुत्र भी तप करने चले गये । लक्ष्मण, तुम जरूर उन्हें लौटा लाओ। यह ईर्ष्या छोड़ो और धरतीका पालन करो। मुनि बननेका समय है। क्या मुझपर तुम्हारा नेह नष्ट हो गया है। अरे, रोते हुए इन लोगों को
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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