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पढमचारिज
[१२] सो एत्तहे दि साथ पा-पुक्त मोह-पत्ता ।
तियसं-इ-णिन्दिया अइ-महम्त-ससा ॥१॥ जा पाउस-सिरि स्व सु-पोहर । आसि तियस-अबइहि वि मनोहर ॥२॥ सातवेण परिसोमिय जाणह। दिवसयरें गिम्भ महा-गइ ॥३॥ दुप्परिणाम पूरे परिसेसिय। वण-मलोह-कञ्चऍण विहूसिय ॥४॥ परमागम-जुत्ति किय-पारण ।। वस्पिकिय पचन्द्रिय-वर-वारण 11५|| हहिर-मंस-परिवजिय-वहीं। जीविएँ जगहों जणिय-सन्देही ।।६।। पाय-अस्थि-णिवाह-सिर-जालो। फरसाण सम्पन्न कराली ।।७।। घोरु वीर तन-मरण करेपिणु। हायणाई वाटि गमेफ्पिण ।।८।। दिण तेसीस समाहि लहेपिणु। थिय इन्दही इन्दत्तण लेप्पिणु ॥९॥ ठियसावा गम्पि सोलहमएँ। घर-विमाणे प्रप्पह-शाम ॥१०॥ करण-सिहरि-सिहर-संकासएँ। विबिह-रपण-पह-किया-विमलासऐं।"
पत्ता
हरिरामुजियठ सग-मोक्ष-मुहर
अवरु वि जो दिक्ख लएसह । सो सम्वा स इँ भु जेसह ।।१२॥
इय पोमचरिय-सेसे
सयम्भुएवस्स कह बि उवरिप । तिहुयण-सयम्भु-रहए
सीया-सण्णास-पक्वमिणं ।। वन्दइ-वासिय-महकइ-सयम्मु-लह-अमआय-चिणिवः । सिरि-पोमचरिय-सेसे
पञ्चासीमो इमो सग्गो।।