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यासीनो संधि
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[७] यह सुनकर, लवण और अंकुशने आवेशमें भरकर कहा – “बताओ बताओ ये राम और लक्षण कौन है।" तत्र गगनविहारी नारद मुनिने कहा - "इश्वाकु नामका राजवंश है। उसमें दशरथ सर्वश्रेष्ठ राजा है। उनके दो पुत्र हैं- राम और लक्ष्मण, जिन्हें राजाने वनवास दे दिया था। वे दण्डकारण्य में पहुँचे हो थे कि रावण सीता देवीका अपहरण करके ले गया। रामने बानर सेना इकट्ठी की । कूचका डंका बजाकर युद्ध के लिए प्रस्थान किया । लंका नगरीको घेर लिया और रावणको मार के | फिर वे वापस आकर अयोध्या में रहने लगे । यद्यपि सांता देवी सती और हृदय शुद्ध हैं, परन्तु लोगोंके कहने पर रामने अकारण उन्हें बनमें निर्वासित कर दिया । ( इसी समय ) बत्रजंघ कहीं जा रहा था, उसने सोता देवीको रोते हुए देखा । उसे बहन बना कर अपने घर ले गया। वहाँ उसके लवणं कुश नामके दो पुत्र उत्पन्न हुए" ॥१-२॥
बद्द
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[ ८ ] यह सुन कर लक्षण, जो कामदेवका अवतार था, बोला- हमारे समान कुलीन कौन हो सकता है. जिसने मेरी माँ को कलंक लगाया हैं, मैं उसके लिए दावानल हूँ। मैं उसे भस्म करके रहूँगा। भीषण दुर्दर्शनीय और योद्धाओं से मुखरित उस समय यह पता चल जायगा कि राम और लक्ष्मणके लिए प्रलय आता है, या इन दोनोंके लिए बिनाश | कौन बाप और कौन बेटा ? निश्चय ही जो मार सकता है, बड़ी दुश्मनपर विजय प्राप्त कर सकता है ! यह जानकर कि लवणांकुशका पराक्रम अलंघ्य हैं, वज्रसंघ भी तमतमाकर बोला कि जो पापात्मा तुम तीनोंका अनिष्ट करनेवाला है, वह मुझे भी अच्छा नहीं लगता। उन्होंने महामुनि नारदसे पूछा कि - अयोध्या कितनी दूर है ? तब युद्ध में समर्थ लवणसे व्योमबिहारी नारदने कहा