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अन्तरिम संधि
ताओ को पकड़ते पकड़ते स्वर्गका एक खण्ड टूटकर गिर पड़ा हो ।। १-२ ।।
[६] राम-लक्ष्मण के प्रवेश करते ही लंकाके नागरिकों में बातचीत होने लगी। वे कह रहे थे, 'ये सुन्दर राम हैं जो सुख उत्पन्न करने वाली स्त्रियों से भी अधिक सुन्दर हैं, ये लाखो लक्षण धारण करनेवाले लक्ष्मण हैं, सतानेवाले रावणके लिए प्रलय: क्रान्ति से शोभित बाहुबाला यह भामण्डल है, जनकका पुत्र और वैदेहीका सहोदर ! यह है दुद्धर्ष किष्किंधाराज; ताराका पति और चन्द्रभाके समान । यह है अंगद, सुन्दर मन्दोदरीका केशमादी । यह है पवनसुत हनुमान्, ऐरावतकी सूँड़की तरह विशाल बाहु और नन्दनवनको धूलमें मिलानेवाला | यह हैं कुमुद, बिराधित, नल, नील, गवय, गवाक्ष, शंख और प्रबल । लंका प्रवेश के समय रामको जो ऋद्धि मिली, वह सम्भवतः अमरावतीका उपभोग करनेवाले इन्द्रको भी उपलब्ध नहीं थी ।। १-९ ॥
[१०] उसके बाद रामने रावणके भवन में प्रवेश किया। सबको सुन्दर सुन्दर स्थान दिखाये गये । यहाँ मेघ छिड़काव करते थे, यहाँ इन्द्र गजघटाओंको सजाता था, यहाँ वनस्पतियाँ अर्चा करती थीं, यहाँ सरस्वती गान करती थी, यहाँ पवन बुहारी देता था, यहाँ कुबेर भण्डारी था, यहाँ आग कपड़े धोती थी, यहाँ सैकड़ो देवताओं के समूह बन्दी थे । यहाँ ब्रह्मा, विष्णु और शिवका अप्रवेश था। यह रावणका राजभवन है। यह यमरूपी रक्षकका स्थान है और यहाँ पर नाग, नर और देवताओ का मिलाप था । यहाँ पर रावणने नवग्रहों को दबा रखा था, और यहाँ पर वह अपने वनिताजनके साथ रहता था। रावणके