________________
पठमाचार
घत्ता
सम्मा-दाण-रिण-मरियड अच्छि जो झरन्तु निरु । सो रणउ मुहद्ध पणधिउ सामिह अग्गएँ देवि सिह ॥९॥
[४] कहिचि धोर-मण्डणं सिरोह-दह-सम्वर्ण || १॥ पारिन्द-बिन्द-धारण तुरा मम्ग-वारणे ॥२॥ दिसग्ग-मगा सन्दणं । भमम्स-सुपण-वारणं ॥३॥ भिइन्त-वीर-णिकमरं । चवन्त णिट् टुरं खरं ॥॥ विमुक-चक्र-सम्घलं ।। तिसूल-सत्ति-सकलं ॥५ अणेय घाय-जज्जरं । परन्त-वाहु-पक्षरं ॥३॥ मुअन्स-हक्क-डकायं। हणन्त-एकमेक्यं ॥७॥ लुपन्त-अड-हयं । कुणन्त-रखण्डखण्डर्य 1411 पड़न्त जोह-विम्भलं। ललन्त अन्त सुम्मलं ॥२॥ मलन्त-छोहिनीहयं । मिलन्स-पक्खि जूहयं ॥१०॥ कहिं चि आया हया। महीयलं गया गया ॥११॥ कहि जि मासुग सुरा। पहार-दारुणारुणा ॥१२॥ कदि चिबिमा धया। जसोह-भूरिणा धया ॥१३॥
पत्ता सहि आहपदम-भिडन्सउ राहव-साहणु मग्गु किह । दि दिधैं दुधियहाँ माणेण पोढ-विलासिणि सुरत सिंह ||१||
शाहब-बलु रावण-वलेण मग्गु । गं कलि-परिणामें परम-धम्मु ।
दुग्गह-गमाणे सुगह-मम् ॥३ णं घोराचरणे मणुअ-जम्मु ॥२||