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________________ पउमचरित के वि सुसुधर-करि-मयर-मच्छ-द्धया । के विणकोहर-ग्गाह-फुम्म-चया ।।६॥ णील-पल-हुस-रइमन्द हत्थुम्मवा | जम्बु-जम्बुक-अम्मोहि-अव-जम्बवा . पत्थडपिपत्थ-पत्धार-दप्पुवरा। पिहुल-पिहुकाय-भूगा-उमरा ॥८ (मयणावयारो णाम मन्दो) घत्ता णा नायडू गय-सदाहिं परिष्टिय । समुह दसासहाँ ण उपसग समुष्ट्रिय || || [६] कुमुभातत्त-महिन्द-मण्डला। मूरसमापह-माणुमपहला || रवण सझामचला। । दिदरह सच्चम्पिय-करामला ॥२॥ मित्तागुद्वर-वग्चसूअणा। । एए पबह बग्घ-सन्दणा ।।३।। कुद-दुद्र दुस-रडरवा ।। अप्पडिहाय-मगाहि-महरका ||४|| पियविन्गह-पञ्चमुह-ऋषियला। विउल-चहल-मयरहर करयला ।। पुषगचन्द-दन्दा नु-चन्दाणा 1 गए परवई संह-सन्दगा ।।। लिलय-तरङ्ग सुसण-मणहरा। बिग-सम्मैय-महिहरा 19 अङ्गङ्गाय-काल-विकास-मेहरा । तरल-साल-लि-वल-पोहरा | ( उपहामिगी प्रणाम कन्दो) पत्ता एप पारवह मयर वितुरय-महारह। णाई मिसिन्दहीं गा कर महागल ॥१|| [७] चन्दमरात्रि-चन्द-मन्दोअर-चन्दण-अहिअ-अहि मुद्दा गवय-वस्य दुक्ख-दसणावलि-दामुदाम-दहिमुहा ।। । । हैंड-हिनिम्ब-चूर-चूडामणि-चूहावत्त-वत्ती कन्त-बसन्त-कोन्त-कोलाहल कामुहवरण-वासी ॥२॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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