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________________ पडमचरित [६०, सहिमो संधि ] पर-वले दिएँ राहयकोरु पयष्ट । अइ-रण-रहसण उरै सण्याहु विसहर ।। सो राहवें पहरण-हाशए । दीहर-महल-गुप्यन्ताए। विच्छोड्य-मणहर-कानाए। रण-रह पुसिय-गनाए । आलिय-तांग-गुचला। करण-णिकडू-कर-कमलाए । कुण्डल-मण्डिय-गण्डयलाए। मासुल-फुलिभाहल-अयणाग। जं सण-सणदएँ दिहाट । दणुव-णिलण-समस्याए ॥१॥ सन्दण-कदम-खुप्परताए ॥२॥ किय-मायासुग्गीवन्ताए ॥३॥ अकालिय-क्जायसपए ॥४॥ कानि-लाल-च-मुहलाए ॥५॥ विधिपणुण्णय-वच्छयलाप ।। ६॥ चूडामणि-घुम्विय-मालाए ॥७॥ रत्तप्पल-सण्णिह-यणाए ॥८॥ संलक्षणे विभालटाए ॥९॥ ( मागधप्रत्यधिक जाम छन्दो) मसि पलिता णा समुदिउ सो वमयण्ण-आगन्दयरु । कल्लाणमाल-दंसण-पसरु । प्रणमामालिशिय-चम्चालु । अरिदमण-राहिय-सत्ति धरू। पन्दणहिन्तणय-सिर-णिदलणु। पत्ता अणुहरमाणु हुआसहाँ। मस्थासूलु इसासही ॥१०॥ [२] सीहोयर-माण-मरह-हर ||1| विज्झाहिब-बिकम-मलण-करू ॥२॥ जियपउम-पान-पतय-मसलु ॥३॥ कुलभसण-मुणि-उवसग्ग-हरु ॥४॥ सूरन्तय-सूरहास-हरण ॥५॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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