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________________ पचमचरित जइ मणे परिय वि पडमणाहु । आमेला सीयहें तणउ गाहु ।।३।। तो तहाँ ति-एण्ड महि एच-छत्त । पारख णिहिउ रयणाहँ सत्त था सामन्त-मस्ति-पाइक-तन्तु । रहवर-गरवर-गन-तुरय-चन्तु ।।५।। अन्तेउरु परियशु पियवासु । सकलसु स-बम्धउ हउ मि दासु ।।२।। कुस-दीउ चीर-चाहणु असेसु । बजरउ चीशु छोहार-देसु | ववस्उलु जवण सुवण्ण-दीउ । वेलन्धर हंसु सुत्रेल-दीड ॥८॥ अपणइ मि पएमई लेउ असेसई गिरि रोयड जाम्ब धरैवि ! रावणु मग्दोयरि सीय किसोयरि तिपिप नि वाहिराह करें वि' ॥ ९॥ [१५] तं णिसुर्णेदि रोस-वसं-गएण । णिमच्छिउ इन्दई पक्रएण ।।१।। 'खलु खुद पिसुण पर-णारि-छ । सप-सपर केचे तज ण गय जीह ॥२॥ जसु तणिय परिणि तासुजें ण देहि । राहवें जियन्तें जन्में वि ण लेहि ॥३॥ जो रक्षा पर-परिहव-सयाई। सो णिय-काने भोसरह काई' ॥ ने दिग्ण विहीसण-हरि-वलेोहि । सुग्गीव-हणुव-मामडकेहि ।।५।। सन्देसा ते घम्नरेंवि तासु । गट अगाड वळ-छक्खणहँ पासु ॥१॥ 'सो रावणु सन्भिण करह देव । सहुँ सरेण अमी-ईयार जेम्ब' ||७|| पत्ता सं णिपुर्णवि कुर्दै हिँ जय-जस-लद्धेहि कहकइ-अपरज्जिय-सुऍहिं । बेहि मि बे चावई भतुल-पपाई भप्फालियाँ स ईभु ऍहि ॥८॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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