SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 326
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३१५ पउमचरिड छन्दहासु चन्दोयर-गन्दणें। वाय वाउएव-सुपसन्दणे ।।।। वारुणु भामण्सुले मय-मोसणे। धगधगम्सु अग्गेउ विहीसणे या पागवासु माहिम-अहिन्दहुँ। पाइसपणन्धु कुमुभ-कुन्देन्द हुँ ।। मोडमि गवय-गवरसहुँ चिन्धाँ। पञ्चावमि गल-णील-कवन्बई ॥७॥ सार-सुसेण देमि बलि भूयहूँ। अवर विणेमि पासु जम-यहुँ ।।८।। वत्ता जसु इम्दादेव वि माणकर दासि व कियअकि स-धर धर । सो जाइ पारूसमि दहवय तो हरि-घक सपळ कवणुगहणु' ।।९।। तेण वयणे कुइय मइएवि । 'हेवाइड सुरवरहि तेण तुज्छ एष विकमु । खर-दूसग-तिसिर-चन्हें किग्ण गाउ लक्मण-परस्मसु ।। जेण मण्य पायालय उदालिय । दिण्ण तार सुग्गीवहाँ सिल संचालिप ॥२॥ अण्ण वि वहु-युप-जयरा। चरिपइँ हणुवम्तहाँ केराइँ ॥२॥ पई रावण का ण विट्वाई। हियवएँ सल्लई व पइट्ठा ।।३।। अज्ज वि अच्छन्ति महन्ता। बुजण-चयण व दुहन्ता ||॥ अण्ण इ णल-पील केण सहिय । रणे हस्थ-पहत्य जैहि वहिब ।।५।। रहुषहहें णिहालिउ केग मुहु। छ-चार बिरह कियउ सुहुँ ॥६॥ शाहि किर को गहणु। किउ तेहि मि महु क्षेस-महणु ।।७।। वत्ता मायासुग्गीय-विमरणही एतिय मेत्ति वि रहु-णन्दणहाँ । गव-मालइ-माला मउभ-भुल बज वि अपिज्जाउ जणय-सुप' ॥४॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy