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________________ २४ पउमचरिउ सचल-हुलि हल करवाक - इलु । फर-कराय कोन्स कलवण - विक्खु॥ ६ ॥ तं नेह भोजु अकाय रेहिं * इन्द्रइ चष्णवाहण- रावणेहि । सुपरऍणियारेहिं ॥ ७ ॥ हाथा-पहस्थ-सुसारहि ॥ २४ ॥ प्रधा भुत्तोसर - काले हि रणउह सार्लेशि दीहर-णि मुतहिँ । अच्छेवर सार्वेहि चिंगय-पयावहिं मधु सर-सेज हि सुत्नऍहि" ॥९॥ 3, [ + ] गुगु पच्छले सुर-कार-करण | सन्देस दिनइ मरु-सुरण ॥१॥ 'भणु इन्द्र "इच्छिउ देहि जुज्छ । हणुवन्तु भिडेस पर तुच्छ ॥२॥ स्त्रियण-वयमा । भन्तु मम्फर रिड-मडा है || ३ || अलि चुम्बिय-लम्बिय-मुहवडा । असि घाय हेतु सिरें गय घटाइँ ||४|| पढिकूल पवर-पवगुच्छाहूँ । मोदन्तु अधया ॥ ५॥ विहढप्फट-कम कराएँ । भजन्तु पलक रुर्णे रहबराई ॥ ६ ॥ दिव गुड न्तु तुरक्रमाएँ । पर-बलु बलि दिन्तु विहङ्गमाएँ ॥ * ॥ दरिखन्तु चदि मह-चियाहूँ । धूमन्तहुँ जिह जण मुहाई ॥ ८ ॥ घत्ता इय लीलाएं साणु रह गथ वाहणु जिड़ उपवणु विह विभि जें पन्थे अक् णि दुप्पेक्खड ते पाव पहुँ पटुवमि" ' ॥ २ ॥ [4] सीय-सहावरे ||१|| पुणु दिष्णु अफरेण । सम्देस 'मणु "एसई अजउ अलख थाहु । कल्लऍ मामण्डल - जलपवाहु ||२॥ पहरण कर णरवर जरूयगेहु | य-धवल-छत्त डिण्डीर सोडु || ३ || पवणाय-पय-रि-विहङ्गुः || ४ || उच्चु तुरङ्ग-तरङ्गमञ्जु |
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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