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________________ पउमचरि [ ४ ] कवि अहिसिन - कुम्भ । छि पुरन्दरं व विमलश्मे ॥ १ ॥ कवि रुप्पिम कसे जल-गाहें पुष्णिव ससिमित्र जोण्डा-वाहें ॥२॥ कवि मरगय कळलेण उर-स्थलु । णलिणिव णकिण उडेण महीयलु ॥३॥ * वि कुङ्कुम-कलसेणायतें । सम्झ व विवसु दिवायर-विवें ॥३॥ मायएँ कीलऍ जयसिरि- माणणु । जब जय सऍ हाउ दलाणणु ॥५॥ विमल - सरोरु बाउ सक्केसरु | णं उप्पण्ण णाणु तिस्थवस ॥ ६ ॥ दिग्ाई सणु-लुहणाएँ सु-सह। खल- कुणि कणा इत्र लण्ड ॥७॥ मेल्लिय पोति जिपणेण व दुग्गइ । मोभाषिय केसा हूँ जलुग्म ॥८॥ पिणु सेयम्वक विसाव (?) । वेडिं सीसुरु ॥९५ ३०० सोहडू धवलवण सुरसरि वाहण घत्ता भावेदि दुससिरसिंह पवरु | कलासह तण तु-सिहरु ॥ ६० ॥ [ ५ ] गम्पिणु देव भवणु जिणु बन्देवि । वार-बार अध्यानन निन्देवि ॥ ५॥ कण-बीजें परिद्विड राणउ ॥२४ मोयण-भूमि पट्ट पहाणड । जयणि मायि अस व धुहि । मनुह-मह द वायर ग व सयर सुहिं पिय-जासेंहि । महकइ किसि व सीस-सहासमि सुतेंहिं ॥३॥ I
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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