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________________ २६८ पउमपस्टि घाता तं णिसुणवि दूमिय-मणु आमेलिय-रणु मउ पयह अप्पणउ घरू । पषियम्भिय अजय मत्त महागय गाई पट्टा परम-सरु ॥९॥ गवर पविपरममाणेहिं दोहि पि सुगीव-पुत्तेहि। अण्णाय-चन्तहि अण्ण-खरगेहि रेकरिमी रावणो । सह वि श्रमणो ण सोहं गओ सध्ध-रामाहिरायस्स निकम्पमाणस्स तहलोड-चोकवीरस्स सकारिणो ॥१॥ मलयगिरि-बिन-सम्झस्थ केलास-किहिन्ध-सम्मेय. हेमिम्दकीलमणुजेमत-मेहहिं धीरसणं धारिणी ॥३।। पवल-बहुरूविणी-दिव्य वजा-महाकरिस-उहाण-दावग्गिा जालावली-जाय-जजखमाण-कामस्थियो । असुर-सुर-बन्दि-मुमशुम्मिरस-योरंसु-धारापुसिजन्त-णीलीक्य-त्त-चिन्ध-पदायाक्षिणो ॥५॥ धणय-जम-ग्रन्द-सूरग्गि खन्देन्द-देवाइ-चूडामणिन्दु. प्पाहा-वारि-धारा-समुध्य-पायारविन्दस्स से ॥३॥ गरुय-उवसम-विग्वे समारम्मिए [प] समुरिंगणणाणा रह-दट्टाइरं जाव-सेपणं समुबाइयं ।।७।। फरस-वयणाहि हकार-इकार-कार-हुकारभीसावणं पिरितकणं पणट्ठा कइन्ददया ) III पत्ता मग्गु कुमारहुँ साहशु गलिय-पसाइणु पच्छल गाउ जक्स-बलु । (ण) णव-पाउसे अइ-मन्दहाँ तारा-चन्दहो मेह-समूह गाई स-जलु ॥१॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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